For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दीवाना बना कर चली गयी

कोई  आई  और  मुझे   दीवाना   बना   कर   चली   गयी  

साँसों   में    मेरी   घुल   गई  

आँखों  में  मेरी  घर  कर  गयी 

दिल  के  आंगन  में  आशियाँ    बना  के  बस  गयी | 


 

 

उसे   ढूँढूं   कहाँ  में   यूँ   गलियों  में 
वोह   तो   हैं  फूल  में  या  हैं  कलियों  में 


ऐसी  सूरत  है  देखि  मैंने  ,सदियों  में ...

बूँद  गिरती  है  जैसे  की  नदियों  में .....


 

 

कल  ख्वाब  में  मैंने  देखि  उसकी  आंखें 

तब  आई  मुझको  नींद  कहीं  जाके  ......


जैसे  की  वोह  घटा  थी  जो  बरस  रही  थी  दिल  में 

लग  रही  थी  जैसे  कोई  रात  हो  वोह  दिन  में .....


 

एहसास  उसका  यारों  बड़ा  ही  खास  था 

दूर  था  में  उससे  पर  लग  रहा  था  पास   था 


 

जो  जुल्फें    उसकी  थी  वोह  थी  रब  का  क्या  कमाल 

जैसे  सावन  के  काले  घने  बदल  जो  तन  -मन  भीगोदे 

जैसे  ममता  का  आँचल   जो  सब  कुछ  भुला  दे 


 

उसके  होठों  की  लाली  के  आगे  गुलाब  भी  मुरझा  जाये 

उसकी  जगमगाहट  को  देख  के  चाँद  भी  शर्मा  जाये 

नाचती  मोरनी  सी  अदाएं  , कुदरत  सी   शोखी 


मासूमियत  नन्ही  कलि  की  जम्हाई  जैसी 

और  महक  बरसात  में  मिटटी  की  खुशबु  जैसी ......

 

उसकी  तारीफ  में  यह  भी  था  पानी  को  गीला  करने  जैसा 

आहना को सूरज बताने जैसा 

या साहिल को किनारा बताने जैसा 


 , ज़िन्दगी  भर  उसका  ज़िक्र  करू 

फिर  भी  कम  होगा , उसके  बिना  तो   सागर  में  पानी  भी  कम  होगा .


 

क्या   कभी वोह  हमारा  होगा ? .............................

 

Views: 337

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 9, 2012 at 4:06pm

bhav hain, gathan main prayas jaroori hai.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 23, 2011 at 1:34pm

रोहित जी आपको पढ़कर अच्छा लगा , प्रयास करते रहिये और बढ़िया लिख सकते है |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
12 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service