For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोस्तों आज देश के उपर कुछ पंक्तियाँ लिखने जा रहा हूँ......................

जब आज़ाद हुआ था भारतवर्ष,
एक सपना सबने देखा था,
जैसे चाँद चमकता है तारों मे,
वैसा होगा देश कुछ सालों मे,
देश हमारा करेगा विकास,
गाँधी जी की यही थी आस,
खुदा भी देगा अपना साथ,
ऐसा उनका था विश्वास.

आज 64 साल हुए,
हम सब को आज़ाद हुए,
लेकिन क्या एक पल को सोचा,
क्या से क्या हालात हुए,
कल अँग्रेज़ों ने राज किया था,
हमें बहुत बर्बाद किया था,
लेकिन क्या हम आज आज़ाद हैं?
सारी खुशियाँ क्या हमारे पास है?
जकड़े हुए हैं हम आज उन बेलों से,
जो हमारे ही आँगन बागवान ने लगाई है,
फूल तो तोड़े जातें हैं,
लेकिन पत्तों को छोड़ जाते हैं,
सीचती है जो धारा हमे,
हम उससे उखड़े जाते हैं,
क्या एक पल को सोचा है तुमने,
ये सब क्यू सहते जाते हैं ,

लिखा है पीर फकीरों ने,
पाप बड़ा तो है मगर,
सहना पाप को उससे बड़ा है पाप,
यह किया तो काम का नही कोई मंतर का जाप,
खुदा उसी का होता है,
सम्मान के खातिर प्राण त्यागने को,
जो सदा ही तत्पर हो,
देश के लिए कुछ कर गुज़रने का,
सच्चा जूनून जिसके सर हो,

इतिहास गवाह है इस बात का,
हर युग मे कोई महापुरुष होता है ,
जो बुलबुले की तरह कुछ पल,
जी कर भी सबसे उँचा रहता है,
हम महापुरुष ना सही लेकिन,
इंसान तो सच्चे बन सके,
कुत्ता भी बैठने से पहले,
फर्श को सॉफ करता है ,
फिर हम इंसान होकर भी,
कचरे को क्यू ना सॉफ करें?,

वक़्त नही है ठहरता किसी के लिए,
सागर की लहरों की तरह ,
पानी बरसात का गर बहा नही,
तो सर तक को डूबा देता है ,
गर वन की आग को शुरू मे,
ना रोका गया तो खाक कर देता है
अब भी ना गर समझे देशवासियों,
तो रह जाओगें ताकते,
छूटे हुए मुसाफिर की तरह |

Views: 373

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 9, 2012 at 4:08pm

mahan vichar. badhai. 

Comment by Rohit Singh Rajput on July 20, 2011 at 12:30am
publish ho gaya h kya????
Comment by Rohit Singh Rajput on July 20, 2011 at 12:29am
nice

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
सतविन्द्र कुमार राणा posted a blog post

जमा है धुंध का बादल

  चला क्या आज दुनिया में बताने को वही आया जमा है धुंध का बादल हटाने को वही आयाजरा सोचो कभी झगड़े भला…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
आशीष यादव posted a blog post

जाने तुमको क्या क्या कहता

तेरी बात अगर छिड़ जातीजाने तुमको क्या क्या कहतासूरज चंदा तारे उपवनझील समंदर दरिया कहताकहता तेरे…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post एक बूँद
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Jan 4
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर "
Jan 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विरह
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Jan 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Jan 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।  नव वर्ष की हार्दिक…"
Jan 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service