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करुण  रुदन  करता  नहीं, कोई  जाता देख
चाहे लिखता वो रहा, हर दिन सुख का लेख।१।
*
कैसे मुख अब फेर  लूँ, मन में लिए सवाल
इस से भी बदतर कहीं, ना हो आगत साल।२।
*
यादें छोड़ तमाम फिर, गया और इक वर्ष
लाभ हानि का लोग क्यों, करते हैं निष्कर्ष।३।
*
स्वागत को हर्षित  हुए, करें  विदा तो हर्ष
क्या बोलूँ अब मैं भला, कैसा था यह वर्ष।४।
*
साथ समय के नित जिसे, कोसा दसियों बार
वही  बिछड़ते  दे   रहा,  नया  साल  उपहार।५।
*

नये  साल  के  हाथ  में,  थमा  हमारा हाथ
गया लिए यह साल भी, साल उम्र का साथ।६।
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

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