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दिल तो बेचैन उस की बातों से- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

2122/१२१२/२२
***
दिल की कालिख सँवार आँखों में
कह  रहे  सब  खुमार  आँखों में।१।
*
फिर सुहाता न कोई भी उस को
उग गया जिस के खार आँखों में।२।
*
वार  करती  है  जानलेवा  वो
क्या लिए है  कटार  आँखों में।३।
*
दिल तो बेचैन उस की बातों से
दिख रहा पर  करार  आँखों में।४।
*
सिर्फ दुख से न होती नम लोगो
हर्ष भी  लाता  धार  आँखों में।५।
*
मन की चाहत सुबास सरसों की
खिल गयी  पर  जवार आँखों में।६।
*
खाइए  नित्य  आप भी गाजर
चाहिए  गर  सुधार  आँखों में।७।
*
मैं 'मुसाफिर' हूँ अजनवी पथ का
व्यर्थ  रखना   उतार  आँखों  में।८।
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

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Comment by Aazi Tamaam on January 18, 2024 at 6:23am

आपका अनोखा लेखन मुझे बहुत अच्छा लगता है सुंदर ग़ज़ल हुई बधाई आ

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