For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अहिंसा का यथार्थ स्वरूप

सामान्यतया अहिंसा का अर्थ कायरता से लगाया जाता है..जबकि अहिंसा का वास्तविक अर्थ होता है निडरता | दूसरे अर्थों में कहूँ तो 'अभय', जो भयजदा नहीं हो और ये ही निडरता ही नैतिकता का सबसे महत्वपूर्ण बिंदु है. इंसान का निडर होना उसका सबसे अहम् गुण होता है. निडर और अभय व्यक्ति ही स्वतंत्र हो सकता है. हिंसक व्यक्ति सदा स्वयं को असुरक्षित और तनावग्रस्त महसूस करते हैं, साथ ही अप्रिय भी होते हैं। भगत सिंह और सुभाष चन्द्र बोस हिंसावादी नहीं थे..निडर थे..अभय थे..अपने आपको कभी परतंत्र नहीं समझा और इसी विचार को उन्होंने अपने ढंग से क्रियान्वित किया. परतंत्र और भयभीत इंसान अहिंसा का पालन नहीं कर सकता. क्योंकि जिसके पैरों में बेड़ियाँ पड़ी हों, वह स्वतंत्र कैसे हो सकता है | हिंसा तो कोई भी कर सकता है..लेकिन अहिंसा ही वीरों की शोभा होती है और कायर पुरुषों से दूर ही भागती है. भगवान श्री कृष्ण गीता के 16वेंअध्याय में अहिंसा को दैवीय गुण बताते हैं और दूसरों को चोट पहुंचाने वाले अर्थात हिंसक व्यक्ति को राक्षस बताते हैं। एक व्यक्ति सभ्य और सुसंस्कृत तभी कहलाता है, जब तक वह मन, वचन और कर्म से किसी भी व्यक्ति के प्रति हिंसा न करता हो और दूसरों के दुख के प्रति संवेदनशील हो।इसका मतलब ये नहीं की हम अत्याचार सहन करते रहें.. गाँधी जी ने इस शक्ति को पहचाना और अपने जीवन में आत्मसात भी किया.
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अहिंसा को गलत अर्थों में लिया जा रहा है.. इस वक्तव्य को मैं इस प्रसंग से कहूँगा कि...एक बार भगवान बुद्ध ने अपने भिक्षुओं को उपदेश देते हुए कहा कि भिक्षा पात्र में जो कुछ प्राप्त हो जाए, वही ग्रहण कर लेना चाहिए। दैवयोग से एक दिन एक भिक्षु के पात्र में चील ने एक मांस का टुकड़ा डाल दिया। इस पर भिक्षु ने भगवान बुद्ध से पूछा, तो भगवान बुद्ध ने सामान्य भाव से कह दिया कि इसे ग्रहण कर लीजिए। परंतु इस का परिणाम भविष्य में यह हुआ कि लोग भगवान बुद्ध के उस वाक्य को पकड़कर मांसाहार करने लगे..|
महाभारत युद्ध के आरंभ में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को युद्ध हेतु प्रेरित करने के लिए उपदेश देते हैं। भगवान श्रीकृष्ण की दृष्टि में अहिंसा का अर्थ है जिस पुरुष के अन्त:करण में 'मैं कर्ता हूं' ऐसा भाव नहीं है तथा जिसकी बुद्धि सांसारिक पदार्थ और कर्म में लिप्त नहीं होती है, वह पुरुष सब लोगों को मारकर भी वास्तव में न तो मारता है और न ही पाप से बंधता है। मानसकार कहते हैं कि आततायियों को दंड देने के लिए जिनके हाथ में धनुष और बाण हैं, ऐसे प्रभु श्री राम की वंदना करता हूं। भगवान यज्ञ की रक्षा करने के लिए ताड़का को मारना भी उचित समझते हैं। भक्तों की रक्षा के लिए मेघनाद के यज्ञ के विध्वंस का आदेश देते हैं। योग की संस्कृति को स्थापित करने के लिए लाखों राक्षसों के संहार को भी उचित मानते हैं। यह है अहिंसा का यथार्थ स्वरूप।
***

Views: 814

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by baban pandey on August 29, 2010 at 2:40pm
निडरता ..पुरुषों का भूषण है ...जिस तरह स्त्रियाँ गहने पहनती है ...

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 29, 2010 at 10:31am
आदरणीय नरेन्द्र भाई साहब बहुत ही सुंदर लेख दिया है, मेरे समझ से हिंसा वीरो का अंतिम अश्त्र होनी चाहिये |

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on August 28, 2010 at 11:08pm
बिलकुल सत्य| महात्मा गाँधी ने भी कहा था " अहिंसा कायरता नहीं सिखाती है"|

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
12 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
12 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"अपने शब्दों से हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय बृजेश जी           …"
14 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
15 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
15 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
15 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय भंडारी जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है सादर बधाई। दूसरे शेर के ऊला को ऐसे कहें तो "समय की धार…"
15 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार। लॉगिन पासवर्ड भूल जाने के कारण इतनी…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service