आज महात्मा गांधी जी की पुन्य तिथि पर एक बालकविता प्रस्तुत है:
अपने प्यारे बापू
कितने अच्छे थे अपने बापू
सादा सा जीवन था उनका
लड़े लड़ाई सच की ही वह
ध्यान हमेशा रखा सबका l
हिंसा ना भाती थी उनको
साथ अहिंसा का अपनाया
सबके लिये थी दया-भावना
काम बड़ा करके दिखलाया l
भारत को आज़ाद कराने में
लगा दिया जीवन था सारा
देश छुड़ाया जब अंग्रेजों से
सबसे ऊँचा था उनका नारा l
दुबली-पतली काया थी पर
हिम्मत थी उनमें लोहे सी
वो मन के बड़े ही पक्के थे
दुश्मन की हुई ऐसी-तैसी l
खाना वो सादा सा खाते थे
सादा सा ही था पहनावा
साधारण थे बोल-चाल में
ना घमंड ना कोई छलावा l
बड़ा सरल स्वभाव था उनका
अडिग रहे वह निश्चय पर
सत्य और न्याय को पूजा
उनको नहीं था किसी का डर l
साबरमती के संत में सच्ची
थी एक अपनी ही पहचान
अपने देश की करी भलाई
हो गये फिर उसपर कुर्बान l
अंग्रेजों के चंगुल से वापस
अपना देश किया आजाद
शांति-अहिंसा की सीखें उनकी
सदा रखेंगे हम सब याद l
-शन्नो अग्रवाल
Comment
राज बुन्देली जी एवं राजेश कुमारी जी...सराहना के लिये आपका हार्दिक धन्यबाद.
वाह,,,,क्या बात है ,,,,,बधाई
गाँधी जी के उपर बहुत सुंदर कविता लिखी है शन्नो जी
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