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बन्द कमरे में जो मिली होगी

बन्द कमरे में जो मिली होगी
वो परेशान जिन्दगी होगी


यूं भी कतरा के गुजरने की वजह
हममें तुममें कहीं कमी होगी


हम सितम को वहम समझ बैठे
कौन सी चीज आदमी होगी


और भी कई निशान उभरे है
तेरी मंजिल यहीं कहीं होगी


ये है दस्तूरे आशनाई तपिश
उनकी आँखों में भी नमी होगी --

मेरे काव्य संग्रह ---कनक ---से -

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Comment by आशीष यादव on September 9, 2010 at 3:35pm
Tapish ji pranan. Bahut hi umda shero se susajjit ghazal h.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 9, 2010 at 10:47am
प्रणाम तपिश सर, अच्छे ख्यालात की ग़ज़ल है, सारे शे'र खुबसूरत है, दिल वाह वाह कहने को कर रहा है , जय हो!

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