(१)
बाँटना तो चाहते हैं हम तेरे रंजो अलम पर,
वक़्त ने पाँव में जंजीर जो पहनाई है |
सो जाते हैं जब--सब--तब हम उठ के देखते हैं,
बरसों से सिरहाने में तस्वीर जो छुपाई है ||
(२)
उसने पूछा भी नहीं और हमने बताया भी नहीं,
बस इसी जद्दोजेहद में कट गई है ज़िन्दगी |
मेरे मालिक ये कैसा इम्तिहान ले रहे हो तुम,
वो लौट के आये हैं अब---जब बट गई है ज़िन्दगी ||
(३)
जिसकी थी जरुरत हमें वो तो नहीं मिली,
किसको बताते क्या मिला…
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Added by jagdishtapish on July 15, 2011 at 9:00pm —
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बेटी गरीब की
बेटी थी वो गरीब की मजबूर थी लाचार--
थी खूबसूरत यौवना लेकिन ईमानदार --
सड़कों पे सर झुकाए वो गाँव में निकलती ---
कुछ मनचले दबंगों की नीयतें मचलती --
फिकरे कोई कसे तो वो चुपचाप ही रहती --
मक्कार दबंगों की कई हरकतें सहती --
ना बाप था ना भाई ना उसकी कोई बहिन थी --
तकदीर की मारी हुई वो नेकचलन थी --
कपडे वो नदी पर ही धोती थी नहाती थी -
शाम के ढलते ही घर लौट के आती थी --
एक शाम वो दबंगों के हाथ लग गई --
अब तक बचा रखी थी वो…
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Added by jagdishtapish on March 13, 2011 at 8:13pm —
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जाने क्या हो गया है आपसे मिलकर मुझको
ढूँढती रहती है दिन रात ये आंखें तुझको
मै दोस्तों से तेरी बात किया करता हूँ
तेरी यादों में सुबह शाम जिया करता हूँ |
और तू है कि मुझे गैर का समझती है
बस यही बात मेरे दिल को भी खटकती है
रोज़ मंदिर में शिवालय में सर झुकाता हूँ
तुम्हे पाने की दुआ मांग के घर आता हूँ |
सामने तुम नहीं होती तो दिल तड़पता है
मै कहीं ढूँढता हूँ ये कहीं भटकता है
फिर कहीं खो गया है इसका पता दो मुझको
छुपा के…
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Added by jagdishtapish on October 12, 2010 at 10:36am —
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क्या हुआ ? ज़िन्दगी ज़िन्दगी ना रही
खुश्क आँखों में केवल नमी रह गई --
तुझको पाने की हसरत कहीं खो गई
सब मिला बस तेरी एक कमी रह गई |
आँधियों की चरागों से थी दुश्मनी
अब कहाँ घर मेरे रौशनी रह गई |
ना वो सजदे रहे ना वो सर ही रहे
अब तो बस नाम की बन्दगी रह गई |
अय तपिश जी रहे हो तो किसके लिए ?
किसके हिस्से की अब ज़िन्दगी रह गई |
Added by jagdishtapish on September 18, 2010 at 12:30pm —
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तोड़ना जीस्त का हासिल समझ लिया होगा
आइने को भी मेरा दिल समझ लिया होगा
जाने क्यूँ डूबने वाले की नज़र थी तुम पर
उसने शायद तुम्हे साहिल समझ लिया होगा
चीख उठे वो अँधेरे में होश खो बैठे
अपनी परछाई को कातिल समझ लिया होगा
यूँ भी देता है अजनबी को आसरा कोई
जान पहचान के काबिल समझ लिया होगा
हर ख़ुशी लौट गई आप की तरह दर से
दिल को उजड़ी हुई महफ़िल समझ लिया होगा
ऐ तपिश तेरी ग़ज़ल को वो ख़त समझते हैं
खुद को हर लफ्ज़ में शामिल समझ…
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Added by jagdishtapish on September 15, 2010 at 7:12pm —
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बन्द कमरे में जो मिली होगी
वो परेशान जिन्दगी होगी
यूं भी कतरा के गुजरने की वजह
हममें तुममें कहीं कमी होगी
हम सितम को वहम समझ बैठे
कौन सी चीज आदमी होगी
और भी कई निशान उभरे है
तेरी मंजिल यहीं कहीं होगी
ये है दस्तूरे आशनाई तपिश
उनकी आँखों में भी नमी होगी --
मेरे काव्य संग्रह ---कनक ---से -
Added by jagdishtapish on September 8, 2010 at 8:20am —
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अक्सर कई मित्र पूछ लेते हैं हंसी मजाक में --भाई ये ग़ज़ल क्या होती है --
ग़ज़ल कह के ही समझाओ हमें --ऐसी ही मुश्किल को आसान करने का छोटा सा प्रयास
किया है हमने ---उन्हीं मित्रों को सादर समर्पित है
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शमां से आँख लड़ी हो तो ग़ज़ल होती है ---
या के फिर खूब चढ़ी हो तो ग़ज़ल होती है |
तुम किसी शोख हसीना को छेड़ कर देखो --
जेल जाने की घडी हो तो ग़ज़ल होती है --|
वो शाम से ही अगर ले रहे हों अंगड़ाई --
तमाम रात…
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Added by jagdishtapish on September 5, 2010 at 9:30am —
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------- पगली -----ऊपर वाले तेरी दुनिया कितनी अजब निराली है
कोई समेट नहीं पाता है किसी का दामन खाली है |
...एक कहानी तुम्हें सुनाऊँ एक किस्मत की हेठी का
न ये किस्सा धन दौलत का न ये किस्सा रोटी का
साधारण से घर में जन्मी लाड़ प्यार में पली बढ़ी थी
अभी-अभी दहलीज पे आ के यौवन की वो खड़ी हुई थी
वो कालेज में पढ़ने जाती थी कुछ-कुछ सकुचाई सी
कुछ इठलाती कुछ बल खाती और कुछ-कुछ शरमाई सी
प्रेम जाल में फँस के एक दिन वो लड़की पामाल हो गई
लूट लिया सब कुछ…
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Added by jagdishtapish on September 1, 2010 at 11:51am —
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उन्हें खबर नहीं के दर्द कब उभरता है --
किसकी यादों की रहगुजर से कब गुजरता है --
जख्म भरने की कोशिशों में उम्र बीत गई --
एक भरता है तो फिर दूसरा उभरता है --|
इक अजनबी चुपके से मन के द्वार आ गया --
पागल हुआ मन और उनपे प्यार आ गया
उसने जो नाम ले के इक बार क्या पुकार लिया
हमको लगा के मिलन का त्यौहार आ गया |
जो शौक से पाले जाते हैं वो दर्द नहीं कहलाते हैं --
जो दर्द हबीब से मिलते हैं वो दर्द ही पाले जाते हैं
जब टूट जाये उम्मीद…
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Added by jagdishtapish on August 29, 2010 at 8:12pm —
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कुछ तो हूँ कुछ नहीं हूँ मैं
चंद लम्हों कि रुत नहीं हूँ मैं
मुझको सजदा करो ना पूजो तुम
संगमरमर का बुत नहीं हूँ मैं |
मेरे नीचे है अँधेरे का वजूद
शाम से पहले कुछ नहीं हूँ मैं |
यूँ ना तेवर बदल के देख मुझे
जिंदगी तेरा हक नहीं हूँ मैं |
बेखुदी में तपिश ये आलम है
वो खुदा है तो खुद नहीं हूँ मैं |
मेरे काव्य संग्रह ---कनक ---से
Added by jagdishtapish on August 28, 2010 at 10:17am —
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रह कर भी साथ तेरे तुझ से अलग रहे हैं
कुछ वो समझ रहे थे कुछ हम समझ रहे हैं |
एक वक़्त था गुलों से कतरा के हम भी गुजरे
एक वक़्त है काँटों से हम खुद उलझ रहे हैं |
चाहत की धूप में जो कल सर के बल खड़े थे
मखमल की दूब पर भी अब पांव जल रहे हैं |
उठता हुआ जनाजा देखा वफ़ा का जिस दम
दुश्मन तो रोये लेकिन कुछ दोस्त हंस रहे हैं |
मेरा नाम दीवारों पे लिख लिख के मिटाते हैं
बच्चों की तरह बूढे ये चाल चल रहे हैं…
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Added by jagdishtapish on August 26, 2010 at 9:35am —
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अपने दामन में छुपा लूँगा तुम चले आओ
चराग दिल के जला लूँगा तुम चले आओ
तुम गया वक्त नहीं लौट के जो आ ना सके
फिर कलेजे से लगा लूँगा तुम चले आओ
में सनमसाज हूँ मर मर के तराशूंगा तुम्हें
काबायें दिल में लगा लूँगा तुम चले आओ
वफ़ा के नगमे लिखूंगा मै किताबे दिल पर
उम्र के साज पे गा लूँगा तुम चले आओ
सुकूने जिंदगी है ख़त का हर एक लफ्ज़ तपिश
पुर्जे-पुर्जे को उठा लूँगा तुम चले आओ
मेरे काव्य संग्रह ---कनक से ----
Added by jagdishtapish on August 23, 2010 at 12:00pm —
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हाँ --कहा--- प्यार का इजहार किया था तुमसे --
हाँ ---कहो --- तुमने भी प्यार किया था हमसे
कसम खुदा की ईमान भी दे देते हम '
कसम खुदा की ये जान भी दे देते हम
उम्र भर अपनी पलकों पे बिठाये रखते '
सारी दुनियां की निगाहों से छुपाये रखते|
मगर अफ़सोस हमारा इरादा टूट गया'
उम्र भर साथ निभाने का वादा टूट गया
अय मेरे दोस्त नया घर तुझे मुबारक हो
नई दुनिया नया शहर तुझे मुबारक हो |
हमारा क्या है दिल पे एक जख्म और सही'
प्यार की…
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Added by jagdishtapish on August 19, 2010 at 10:33pm —
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तू हमारा दिल जिगर है तू हमारी जान है
तू भरत है तू ही भारत तू ही हिन्दुस्तान है
अय तिरंगे शान तेरी कम ना होने देंगे हम
तू हमारी आत्मा है तू हमारी जान है |
तेरी खुशबू से महकती देश की माटी हवा
हर लहर गंगा की तेरे गीत गाती है सदा
तू हिमालय के शिखर पर कर रहा अठखेलियां
तेरी छांव में थिरकती प्यार की सौ बोलियां
तू हमारा धर्म है मजहब है तू ईमान है |
जागरण है रंग केसरिया तेरे अध्यात्म का
चक्र सीने पर है तेरे स्फुरित विश्वास का
भारती की… Continue
Added by jagdishtapish on August 13, 2010 at 9:47am —
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बिजलियाँ दिल पे गिराते जाइये --
आप तो बस मुस्कराते जाइये --
हर किसी से दिल नहीं मिलता मगर --
हाथ तो सबसे मिलाते जाइये |
तेरे नाम से ही मुझको दुनियां ने पुकारा है --
मेरी ज़िन्दगी का आखिर तू ही तो सहारा है --
परदा जो हटा दो तो दीदार मयस्सर हों --
हम गैर सही लेकिन परदा तो तुम्हारा है |
पहले तो मुझे होश में आने की दवा दो --
फिर आपकी मर्ज़ी है जो चाहे सजा दो --
जब टूट ही गया दिल जी के भी क्या करें --
जीने की दुआ दो या मरने की दुआ दो |
Added by jagdishtapish on August 11, 2010 at 9:22am —
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ऐसे भी ज़माने में लोगो
ऐसे भी ज़माने में लोगो गमनाक फ़साने होते हैं
दुनिया से तो लाजिम है लेकिन खुद से भी छुपाने होते हैं
कुछ और नए देना है अगर दीजेगा मगर हंसते हंसते
नासूर बना करते हैं जो वो जख्म पुराने होते हैं
उठता है कोई जब दुनिया से कांधे पे उठाया जाता है
महफ़िल से उठाने के पहले इल्जाम लगाने होते हैं
पूछो न शबे फुरकत में क्यों ये दामन भीगा रहता है
दिल रोता है अन्दर अन्दर हँसना तो बहाने होते हैं
सौ बार तपिश मैखाने की…
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Added by jagdishtapish on August 10, 2010 at 10:56pm —
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बेच दूंगा मैं खुद को खरीदेंगे आप
सोच के आज आया हूँ बाज़ार में --
दोस्तों मेरी कीमत जियादह नहीं
मैं भी बिक जाउंगा आपके प्यार में |
पहले हर बोल के मोल को तौलिये
'बाद में जो मुनासिब लगे बोलिए ---
बोल से ही तो जाहिर ये होता है के
'कितनी तहजीब होगी खरीदार में
इतनी जुर्रत कहाँ के लगा लूँ गले
ये भी हसरत नहीं के गले.से लगूं ---
जो मजा पा के सौ बार मिलता नहीं
वो मजा खो के पाया है एक बार में |
बिक रही है जमीं बिक रहा…
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Added by jagdishtapish on August 9, 2010 at 7:42pm —
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लडखडाते हुए तुमने जिसे देखा होगा
वो किसी शाख से टूटा हुआ पत्ता होगा
अजनबी शहर में सब कुछ ख़ुशी से हार चले
कल इसी बात पे घर घर मेरा चर्चा होगा
गम नहीं अपनी तबाही का मुझे दोस्त मगर
उम्र भर वो भी मेरे प्यार को तरसा होगा
दामने जीस्त फिर भीगा हुआ सा आज लगे
फिर कोई सब्र का बादल कहीं बरसा होगा
कब्र में आ के सो गया हूँ इसलिए अय तपिश
उनकी गलियों में मरूँगा तो तमाशा होगा
मेरे काव्य संग्रह ---कनक--से -
Added by jagdishtapish on August 7, 2010 at 8:41pm —
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