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अपवाद मेरे जीवन के

विकल्पों की इस दुनियां में

बेरस से इस जहां में

तुम्ही कहो क्यों ढूँढूँ विकल्प तुम्हारा

तुम ही तो वो लम्हा हो

जिसे जीया है मैने

तुम्हारी ही सॉसों के बिगङते तरन्नुम को

तो गीतों में पिरोया है मैंने

तुम्ही पर छोङ रखी है हर ख्वाहिश

 एक ही तो है सपना,जिसे तुम्हारी ही

आंखों से देख रखा है मैने

तुम्हारे ही हर लफ्ज को कैद रखा है दिल में,

जिसे तुम्हारा ही आशियां बनाया है मैने

तुमसे ही तो खुशियों-गमों का रिश्ता है

जिसे अपने ही चेहरे के डूबते-उबरते भावों

में छुपा रखा है मैनें

एक रूहानी एहसास हो तुम,जिससे

रूबरू एक बार ही होती है जिदगी,जिसे

सबसे चुराकर सजा रखा है मैने

तुम्हारी जगह,तुम्हारी कमी,वो रिक्तता

अपूरणीय है,नामुमकिन है उसे भरना

वर्तमान,भूत और भविष्य तक को तो

ये बता रखा है मेंने

अपने दिन रात,अपनी हर सांस का

हिसाब ऱखती हुं तुम्हारी खातिर

अगर पल भर भी भूली,तो बुला लेना पास

अपने, मौत को भी तो समझा रखा है मैने

फिर क्यों ये दुनियां मजबूर करती है मुझे

 

विकल्प ढूँढने को तुम्हारा

कहती है इकतरफा है ये प्यार मेरा

कैसे और किस किस को समझाऊँ मैं

फिर मेरे लिए क्या ये दुनियां,तुममे ही तो

एक दुनियां बसा रखा है मैने

तुम भी कह डालो ना मुझसे एक बार

सबके आगे,सबके सामने

विकल्पों की इस दुनियां में

बेरस से इस जहां में

क्यों ढूँढूँ विकल्प तुम्हारा

तुम तो अपवाद हो इस जीवन के !

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Comment

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Comment by minu jha on March 4, 2012 at 2:41pm

आपका धन्यवाद नीरज जी,प्रथम प्रतिक्रिया के लिए


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 3, 2012 at 9:34pm

मीनू जी, बेतरतीब उठ रहे भावों को तरतीब से सजाना भी तो कोई आसान काम नहीं है, अच्छी रचना की प्रस्तुति है, प्रयासरत रहे, बेहतर से श्रेष्ठ की तरफ आपकी कलम अग्रसर है , बहुत बहुत बधाई इस रचना पर |

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 3, 2012 at 4:56pm

विकल्पों की इस दुनियां में

बेरस से इस जहां में

क्यों ढूँढूँ विकल्प तुम्हारा

तुम तो अपवाद हो इस जीवन के !

bahut sundar bhaav evam prastuti. khoob likhti rahen. badhai.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 3, 2012 at 4:15pm

कविता के रूप में सुन्दर शब्द और भावों की प्रस्तुति पर बधाई मीनू जी|


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on March 3, 2012 at 3:57pm

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति मीनू झा जी - वाह.

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 3, 2012 at 3:40pm

मीनू जी सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें 

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