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तक धिनैया तक धिनैया फागुन के बयार

 [चित्र द्वारा: सोनाली सिंह ]

तक धिनैया तक धिनैया फागुन के बयार 
आ गईल हो आ गईल होली के त्यौहार 
तक धिनैया तक धिनैया दौड़अ पकड़अ ट्रेन 
जल्दी से पहुँचअ गाँव बीत न जाए रैन 
तक धिनैया तक धिनैया जियरा नहीं बस में 
नशा चढ़ते जात हई सगरे अंग अंग में 
तक धिनैया तक धिनैया उड़े रंग गुलाल 
लगवा ल रंगवा ल  तू हो आपन गाल 
तक धिनैया तक धिनैया ढोलक संग मृदंग 
झाल तबला हारमोनियम में मचल जंग 
तक धिनैया तक धिनैया गाओ मिलके फाग 
सुर में सुर मिल जाये छेड़ो अईसन राग 
तक धिनैया तक धिनैया एकसे एक पकवान 
पुआ पुरी गुझिया बाड़ा और सुपारी पान 
तक धिनैया तक धिनैया जीजा गए ससुराल 
खूब खातिर भईल उनकर का बताई हाल 
तक धिनैया तक धिनैया भांग के करामात 
सुन ल सब केहु आज बुढऊ के जज़्बात 
तक धिनैया तक धिनैया सजना दूर दराज 
गवना न भईल ई साल सजनी बा उदास 
तक धिनैया तक धिनैया छूट गईल बिहार 
दिल्ली बम्बई के चक्कर में जिनगी बेकार 

सुलभ

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 8, 2012 at 1:31pm

तक धिनैया तक धिनैया मचल रंग तरंग

देसी बोली आ माटी के कतना सुन्नर ढंग .. ....   हार्दिक बधाई..

होली की शुभकामनाएँ
 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 8, 2012 at 11:17am

तक धिनैया तक धिनैया

खूब कहेओ खूब लिखेओ होली का हवाल, बधाई. शुभ होली. 

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