For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिन फिर गये जो जी रहे अब तक अभाव में

दिन फिर गये जो जी रहे अब तक अभाव में,

वादों से गर्म दाल परोसी चुनाव में.

ढूंढे नहीं  मिला एक भी रहनुमा यहाँ,

सच कहने सुनने की हिम्मत रखे स्वभाव में.

 

तब्दीलियाँ है माँगते यों ही सुझाव में,

फिर भेज दी है मूरतियां डूबे गाँव में,

दिल्ली में बैठ के समझेंगे वो बाढ़ को,

लाशें यहाँ दफ़न होने जाती है नाव में.

 

पूछा क्या रखोगे मुहब्बत के दाँव में?

आ देख नमक लगा रक्खा है घाव में,

तुम हमको कभी, पत्थर मार देते तो,

लहरें बनाते सुन्दर दिल के तलाव में.

 

कोयला बना चमक कर हीरा दबाव में,

वीणा से सप्त सुर निकले तनाव में.

पौधे कभी वो छूते नहीं आसमान को,

पलते जो हैं किसी बड़े बरगद की छाँव में.    

 

Views: 672

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on March 23, 2012 at 12:59pm

नज्म हो या कविता

मगर आनंद आ गया

भाव पक्ष बहुत मजबूत है

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 17, 2012 at 8:27am

गुरुबर शाही जी ,एवं सौरभ जी, आप लोगो का आशीर्वाद बना रहे, तो निश्चित ही एक दिन अच्छा लिखेंगे.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 15, 2012 at 1:01pm

ग़ज़ल, नज़्म और बज़्म में बज़्म  ’ऑडमैन आउट’ है. .. :-)

आगे आपका सद्प्रयास.  हार्दिक धन्यवाद.

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 15, 2012 at 12:42pm

आदरणीय प्रदीप सर, एवं मेरे मित्र  विंधेश्वरी जी, हौसला अफजाई के लिए आभार.

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 15, 2012 at 12:37pm

माननीय सौरभ जी अन्यथा क्यों लेंगे; आप क्या कोई ग़लत सलाह थोड़े ही देंगे :)

एक चीज़ आपको और बतानी पड़ेगी की नज़्म, बज्म, ग़ज़ल मे क्यांतर है. धन्यवाद.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 15, 2012 at 11:49am

कोयला बना चमक कर हीरा दबाव में,

वीणा से सप्त सुर निकले तनाव में.

पौधे कभी वो छूते नहीं आसमान को,

पलते जो हैं किसी बड़े बरगद की छाँव में.    

सुन्दर भाव एवं प्रस्तुति. बधाई.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 15, 2012 at 10:04am

नज़्म अच्छी है.  इस प्रयास के लिये बधाई. 

 

कुछ शब्द मूलतः चन्द्र विन्दु युक्त होते हैं, अक्षरी विन्यास इसे संतुष्ट करे.

यह एक निवेदन है. विश्वास है, अन्यथा न लेंगे.

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 15, 2012 at 7:51am
सच्चाई से रूबरू कराती एक भावपूर्ण रचना पर बधाई हो त्रिपाठी जी।कविता की हर पंक्ति हृदय को स्पर्श करती है।
Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 14, 2012 at 2:25pm

श्री बागी जी एवं श्री अरुण जी, तहे दिल से शुक्रिया देना चाहता हूँ, आपकी सराहना के लिए.

मान्यवर बागी जी: दर असल ग़ज़ल ही लिखने का प्रयास था, मिर्ज़ा ग़ालिब की श्रेष्ठतम ग़ज़ल "लिखेंगे जवाब मे" की तर्ज (221212/11/221212), और सारी पंक्तियाँ इसी पर लिखी भी हैं,  किंतु चौपदो के रूप मे लिखने का सिर्फ़ ये आशय था की कोई भी चार पंक्ति सिर्फ़ एक पूरा मसला कह दें. अब ये तो आप ही बताएँ की कितना सफल हुआ है ये प्रयास.

 अगर बाकी तीन चौपदो मे से सब मे प्रथम दो लाइन हटा देंगे तो ग़ज़ल के रूप मे आने की संभावना बनती है. धन्यवाद.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 14, 2012 at 2:01pm

अच्छी रचना है राकेश जी, प्रयास करे यह रचना एक अच्छी ग़ज़ल हो सकती है , भाव बढ़िया है, बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार अच्छी घनाक्षरी रची है. गेयता के लिए अभी और…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करती सुन्दर प्रस्तुतियाँ हैं…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   दिखती  न  थाह  कहीं, राह  कहीं  और  कोई,…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी,  रचना की प्रशंसा  के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार|"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी,  घनाक्षरी के विधान  एवं चित्र के अनुरूप हैं चारों पंक्तियाँ| …"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी //नदियों का भिन्न रंग, बहने का भिन्न ढंग, एक शांत एक तेज, दोनों में खो…"
4 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मैं प्रथम तू बाद में,वाद और विवाद में,क्या धरा कुछ  सोचिए,मीन मेख भाव में धार जल की शांत है,या…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्रोक्त भाव सहित मनहरण घनाक्षरी छंद प्रिय की मनुहार थी, धरा ने श्रृंगार किया, उतरा मधुमास जो,…"
13 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++ कुंभ उनको जाना है, पुन्य जिनको पाना है, लाखों पहुँचे प्रयाग,…"
16 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक , पोस्ट कुछ देर बाद  स्वतः  डिलीट क्यों हो रहा है |"
16 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . जीत - हार

दोहा सप्तक. . . जीत -हार माना जीवन को नहीं, अच्छी लगती हार । संग जीत के हार से, जीवन का शृंगार…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में आपका हार्दिक स्वागत है "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service