For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मांग मत अधिकार अपना, ये अनैतिक कर्म है,
ठेस लगती है, हुकूमत का बहुत दिल नर्म है.
 
हक हमारा कुछ नहीं, पुरखे हमारे लापता,
हर तरक्की के लिए, बस 'द्रष्टि उनकी' मर्म है.
 
सैर को आये कभी जब, मान उपवन गाँव को,
खेत सूखे देख कर, गर्दन झुकी है, शर्म है.
 
कह दिया गर, 'भूख से हम मर रहे है ऐ खुदा!'
ज्ञान मिलता, सब्र और विश्वास रखना धर्म है.
 
कट गए सद्दाम या लादेन, गद्दाफी यहाँ,
तब समझ में आ गया खूं कौम का भी गर्म है!

लूट, हिंसा और लिप्सा से निकलिए शेख जी,

भोर होने आ चली, काली निशा का चर्म है.

 

Views: 802

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on March 23, 2012 at 12:57pm

श्रेष्ठ ग़ज़ल है पुनः पढ़ कर पुनः आनंदित हुआ

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 22, 2012 at 4:58pm

माननीय जवाहर जी, सादर, भगवान न करे किसी को भीख मगनी पड़े या बंदूक टांगनी पड़े. और शायद कोई छह के ऐसा करता भी नहीं होगा, मजबूरियां करवाती होंगी. इसलिए लिखा है.   

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 22, 2012 at 7:25am

Rakesh jee, badhai! bahut hee sundar rachan!

aapne baagee bhee bana diya aur wedna bhee jaga dee abhee bheekh aur bandook baakee hai! 

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 19, 2012 at 10:56am

माननीय जवाहर जी, सादर धन्यवाद. चार पंक्तियाँ और पेश कर रहा हूँ:

वो कवी कैसे, जो हैं बागी नहीं,
जिस ह्रदय में वेदना जागी नहीं.
देश द्रोही इस क्षुधा को वो कहे,
जिसका कुर्ता रक्त से दागी नहीं.

भीख गर उस शख्श ने मागी नहीं,
भूख से बंदूक भी टांगी नहीं,
अब बताओ किस तरह जी पाए वो,
देश के धन में जो सहभागी नहीं.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 18, 2012 at 8:13pm
राकेश जी..बधाई...बहुत उत्कृष्ट रचना....आपकी रचना में धार है जो कटु भी है और
व्यँग्यात्मक  
भी....भीतर भेद कर जिन्झोरती है...
Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 14, 2012 at 9:15am

माननीय सौरभ जी, सादर नमस्कार एवं आभार :)


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 13, 2012 at 7:29pm

राकेशजी, अब मुकम्मल हो चुकी इस ग़ज़ल के लिये फिर से ढेर सारी बधाइयाँ.  वाह !!

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 13, 2012 at 5:50pm

Ji sadar abhar.

Comment by MAHIMA SHREE on March 13, 2012 at 11:45am
राकेश जी..बधाई...बहुत उत्कृष्ट रचना....आपकी रचना में धार है जो कटु भी है और वयांगातामक भी....भीतर भेद कर जिन्झोरती है...
Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 12, 2012 at 4:27pm

श्री वीनस जी ,सादर. जब मुझे ग़ज़ल की मूल परिभाषा ही ओ बी ओ पर मिली तो फिर ये आपका महानता है कि हमे सम्मान दे रहे हैं.  गुरु लोगो के सनिध्य मे प्रयास जारी रहेगा. धन्यवाद.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी, कुछ और प्रयास करने का अवसर मिलेगा। सादर.."
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या उचित न होगा, कि, अगले आयोजन में हम सभी पुनः इसी छंद पर कार्य करें..  आप सभी की अनुमति…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय.  मैं प्रथम पद के अंतिम चरण की ओर इंगित कर रहा था. ..  कभी कहीं…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
""किंतु कहूँ एक बात, आदरणीय आपसे, कहीं-कहीं पंक्तियों के अर्थ में दुराव है".... जी!…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी जी .. हा हा हा ..  सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य आदरणीय.. "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी  प्रयास पर आपकी उपस्थिति और मार्गदर्शन मिला..हार्दिक आभारआपका //जानिए कि रचना…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।छंदो पर उपस्थिति, स्नेह व मार्गदर्शन के लिए आभार। इस पर पुनः प्रयास…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। छंदो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन।छंदों पर उपस्थिति उत्तसाहवर्धन और सुझाव के लिए आभार। प्रयास रहेगा कि…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हर्दिक धन्यवाद, आदरणीय.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह वाह ..  दूसरा प्रयास है ये, बढिया अभ्यास है ये, बिम्ब और साधना का सुन्दर बहाव…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service