For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरा नीड़ जिस पेड़ पर है
लोग उसे कल्पद्रुम कहते हैं
जनविश्रुत है-
वह सब कुछ देता है
जो उससे मांगा जाता है
क्या यह सच है?
मेरे देखने में तो नहीं।
क्यों?
क्योंकि
वह कल्पद्रुम खामोश सा
खड़ा रहता है
अहर्निश!!!
उसके पत्ते गिर रहे हैं
सड़-सड़ कर
टहनियां सूख रही हैं
जड़ें धीरे-धीरे
ऊपर आ रहीं हैं
वह प्यासा मर रहा है
एक घूंट पानी बिन
कार्बन डाई ऑक्साइड के बजाय
ऑक्सीजन ले रहा है
अब वह खामोश हो
केवल
आगंतुकों का चेहरा देखता है
समाधिस्थ योगी सा
टुकुर!
टुकुर!!
टुकुर!!!
अब पंक्षी
उस पर बीट नहीं करते
क्योंकि
अब उस पर
फूल ही नहीं लगते
पहले वह परेशान होता था
झल्लाता था
जब हम कलरव करते थे
अपनी झल्लाहट प्रकट करता था
जोर से हिलकर
मगर अब जड़वत है
कभी-कभी कांप जाती हैं
उसकी सूखी टहनियां
हवा के वेग से
इसीलिए अब मैं भी
इसे छोड़कर उड़ने वाला हूं
क्योंकि मेरे अंडे
महफूज नहीं हैं
अच्छा!
अलविदा कल्पद्रुम
अलविदा!

Views: 680

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 19, 2012 at 9:04pm
गुरू हमेशा महान ही होता है।वह लघु को भी गुरु कर देता है।
आपका पुनश्च आभार!

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 15, 2012 at 1:40pm

जय हो.. .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 15, 2012 at 1:36pm

एकदम सही कहा आपने. इस रचना के आयाम सटीक प्रश्न करते हैं. किन्तु, उन्हें पाठकों की दशा और समझ पर ही छोड़ा जाना उचित होता. 

वस्तुतः, रचना-पाठ के बाद पाठकों की प्रतिक्रियाएँ भी धीरे-धीरे रूढ़िगत होती जा रही है, ’अच्छा’ या ’बहुत खूब’ या ’लाजवाब’ के आगे कुछ और कहना कई बार पाठकों के लिये भी ’आ बैल मुझे मार’ का पर्याय और कारण प्रतीत होने लगता है.  परन्तु, मेरा मानना है कि जो कुछ आपने अपनी रचना के संबन्ध में कहा है, वो सारा कुछ पाठकों की ओर से आना चाहिये. टिप्पणियाँ रचनाओं पर मात्र ’वाहवाही’ नहीं, समीचीन, सार्थक और सटीक प्रतिक्रिया की तरह आये. तभी रचनाएँ भाव-संप्रेषण का अर्थ और बिम्ब सुदृढ़ करती दीख पायेंगीं.  

रचना के लिये पुनश्च बधाई.

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 15, 2012 at 1:18pm
गुरूदेव सौरभ जी खेद है कि मेरी गलती से आपका कमेंट डिलीट हो गया।क्षमाप्रार्थी हूं।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 15, 2012 at 12:39pm
आभार कुशवाहा जी!
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 15, 2012 at 12:08pm

सुन्दर भाव एवं प्रस्तुति. बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   पैसा है तो पीजिए, वरना रहो अधीर||...........वाह ! वाह ! लाख टके की बात कह दी है आपने.…"
19 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय शिज्जु शकूर जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर दोहे रचे हैं आपने. सच है यदि धूप न हो…"
29 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"    आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रस्तुत दोहों की सराहना के लिए आपका हृदय…"
33 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रस्तुत दोहों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार. आपकी…"
36 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  जी ! भाई लक्ष्मण धामी जी आप जो कह रहे हैं मन के मार्फ़त या दिल के मार्फ़त उस बात को मैं समझ…"
37 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्रानुसार उत्तम छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  हार्दिक बधाई स्वीकार करें इस सार्थक दोहावली के लिए| दोपहर और …"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  हार्दिक बधाई इस सार्थक दोहावली के लिए| तन-मन ये मन  से …"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और सुझाव के लिए हार्दिक आभार। अंतिम…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहा छंद   ++++++ ग्रीष्म बाद ही मेघ से, रहती सबको आस| लगातार बरसात हो, मिटे धरा की…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी प्रस्तुति की प्रतीक्षा थी, शिज्जू भाई।  वैसे आज बाहर गया था। सबकी प्रस्तुतियों पर एक-एक…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service