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शिक़ायत

मेरे दिल के कुछ कांटे
मेरे साथ रहे और चुभते रहे
वोह मुझको छलनी करते रहे
हम उनकी हिफाज़त करते रहे
अपना गुनाह बस इतना था
हम उनको अपना कह बैठे
वह हमसे नफरत करते रहे
हम उनसे मुहब्बत करते रहे
हम दीपक थे जलना ही था
पर वफ़ा की आग में जलते रहे
वह समझ न पाए प्यार मेरा
दुनियाँ से शिक़ायत करते रहे

दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'
9350078399
१६.०३.१२.

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Comment by Deepak Sharma Kuluvi on March 17, 2012 at 10:42am
बागी जी हमारी लड़ाई भी बच्चों वाली होती है क्योंकि कुल्लू कालेज से ही पुराना साथ है 
दीपक कुल्लुवी

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 17, 2012 at 10:26am

@ दीपक कुल्लवी ---अच्छा तो मोबाइल वाले फोटो में आप बीबी से लड़ाई कर रहे है!!!!!!

हां सही है अभी ध्यान से देखा मैडम भी आपका हाथ पकड़ी है , शायद हाथा पाई हो रही है :-)

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on March 17, 2012 at 10:24am
नीरज जी हर हाल में फायदा हमारा ही होता है जितना ज्यादा गम,गुस्सा,लड़ाई,तन्हाई उतनी  बढ़िया गज़ल ....शुक्रिया...
दीपक कुल्लुवी
Comment by Deepak Sharma Kuluvi on March 17, 2012 at 10:21am

पांडे जी जब बीबी से लड़ाई हो जाती है तो जज़्वात खुद-व्-खुद उभर कर, निखर कर सामने आ जाते हैं....हा..हा...हा...

दीपक कुल्लुवी

Comment by Abhinav Arun on March 16, 2012 at 9:40pm

जज़्बात निखर कर सामने आये है दीपक जी हार्दिक बधाई !!

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on March 16, 2012 at 3:52pm

dhanyabad pradeep ji

kisi ne kaha tha................

ham udasiyan na milate to aur kya karte

ham unko na bhool jate to aur kya karte

andhera aaya tha raushani ki bheekh mangne

ham apna ghar na jalate to aur kya karte

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 16, 2012 at 3:26pm

सरलता से गहरी बात कह दी. बधाई

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on March 16, 2012 at 12:14pm

संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी'

shukriya aapne aik kavi hirday ke dard ko samjha.....yah dard zindagi men na ho to kavita hi kahan banegi.....

deepak kuluvi

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 16, 2012 at 12:11pm

प्रेम के भाव में उपजे कष्टों का सहज प्रस्तुतीकरण| हार्दिक बधाई,

कृपया ध्यान दे...

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