शिक़ायत
मेरे दिल के कुछ कांटे
मेरे साथ रहे और चुभते रहे
वोह मुझको छलनी करते रहे
हम उनकी हिफाज़त करते रहे
अपना गुनाह बस इतना था
हम उनको अपना कह बैठे
वह हमसे नफरत करते रहे
हम उनसे मुहब्बत करते रहे
हम दीपक थे जलना ही था
पर वफ़ा की आग में जलते रहे
वह समझ न पाए प्यार मेरा
दुनियाँ से शिक़ायत करते रहे
दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'
9350078399
१६.०३.१२.
Comment
@ दीपक कुल्लवी ---अच्छा तो मोबाइल वाले फोटो में आप बीबी से लड़ाई कर रहे है!!!!!!
हां सही है अभी ध्यान से देखा मैडम भी आपका हाथ पकड़ी है , शायद हाथा पाई हो रही है :-)
जज़्बात निखर कर सामने आये है दीपक जी हार्दिक बधाई !!
dhanyabad pradeep ji
kisi ne kaha tha................
ham udasiyan na milate to aur kya karte
ham unko na bhool jate to aur kya karte
andhera aaya tha raushani ki bheekh mangne
ham apna ghar na jalate to aur kya karte
सरलता से गहरी बात कह दी. बधाई
संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी'
shukriya aapne aik kavi hirday ke dard ko samjha.....yah dard zindagi men na ho to kavita hi kahan banegi.....
deepak kuluvi
प्रेम के भाव में उपजे कष्टों का सहज प्रस्तुतीकरण| हार्दिक बधाई,
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