For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


वेदर्द 

मेरी ज़िन्दगी मुझसे रूठी रही

हम मनाते रहे वोह रुलाती रही 
दूर जाने की कोशिश बहुत की मगर
याद उनकी  तो अक्सर ही  आती रही 
भूलना भी न था  हम भी करते तो क्या
बेवफाई से बेहतर था अपना गुनाह 
हम तो रस्म-ए-वफ़ा ही निभाते रहे
तोहमतें दुनियां हमपे लगाती रही
दीपक 'कुल्लुवी' तू कब होश में आएगा
तू तन्हा था तन्हा ही रह जाएगा
ज़िक्र तेरा कहीं भी न आएगा दोस्त 
गीत तेरे ही दुनियाँ यूँ गाती रही 
दीपक 'कुल्लुवी'
२२/३/१२.

Views: 380

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on March 23, 2012 at 1:17pm

 rajesh kumari ji thank-you very much

deepak


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 23, 2012 at 12:19pm

dil ki gahraaiyon se nikle bhaav bahut sundar prastuti.

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on March 23, 2012 at 12:03pm

KASHIVASI JI

RACHANA KE BHAV ACHHE LAGE SHUKRIYA....

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 23, 2012 at 11:59am

आपकी इस रचना के भाव बहुत अच्छे हैं| सादर,

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on March 23, 2012 at 10:20am
शैलंदर,नीरजा,प्रदीप जी  आप सबका धन्यबाद 

आप जैसे दोस्तों का प्यार मुहब्बत है जो कलम चलती रहती है.....कुछ अच्छा तो कुछ बुरा निरंतर लिखती रहती है

दीपक कुल्लुवी
Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 23, 2012 at 10:00am
हम तो रस्म-ए-वफ़ा ही निभाते रहे
तोहमतें दुनियां हमपे लगाती रही
अच्छी रचना के लिए बधाई स्वीकार करें
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 22, 2012 at 8:42pm

भूलना भी न था  हम भी करते तो क्या

बेवफाई से बेहतर था अपना गुनाह 
हम तो रस्म-ए-वफ़ा ही निभाते रहे
bahut khoob. badhai mahoday ji sadar. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आयासफर कब मंजिलों से याद आया।१।*हमें …"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश जी सादर अभिवादन आपका बहुत शुक्रिया आपने वक़्त निकाला मतला   उड़ने की ख़्वाहिशों…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया अभी ज़िंदा हैं मेरी हसरतें भी तुम्हारी…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,,, मुझे तो स्कॉच और भजिये याद आए... बाकी सब मिथ्याचार है. 😁😁😁😁😁"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया  टपकने जा रही है छत वो…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय दयाराम जी मुशायरे में सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई आपको"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय निलेश नूर जीआपको बारिशों से जाने क्या-क्या याद आ गया। चाय, काग़ज़ की कश्ती, बदन की कसमसाहट…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, मुशायरे के आग़ाज़ के लिए हार्दिक बधाई, शेष आदरणीय नीलेश 'नूर'…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"ग़ज़ल — 1222 1222 122 मुझे वो झुग्गियों से याद आयाउसे कुछ आँधियों से याद आया बहुत कमजोर…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"अभी समर सर द्वारा व्हाट्स एप पर संज्ञान में लाया गया कि अहद की मात्रा 21 होती है अत: उस मिसरे को…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"कहाँ कुछ मंज़िलों से याद आया सफ़र बस रास्तों से याद आया. . समुन्दर ने नदी को ख़त लिखा है मुझे इन…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. जयहिन्द रायपुरी जी,पहली बार आपको पढ़ रहा हूँ.तहज़ीब हाफ़ी की इस ग़ज़ल को बाँधने में दो मुख्य…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service