लघु कथा : हाथी के दांत
बड़े बाबू आज अपेक्षाकृत कुछ जल्द ही कार्यालय आ गए और सभी सहकर्मियों को रामदीन दफ्तरी के असामयिक निधन की खबर सुना रहे थे. थोड़ी ही देर में सभी सहकर्मियों के साथ साहब के कक्ष में जाकर बड़े बाबू इस दुखद खबर की जानकारी देते है और शोक सभा आयोजित कर कार्यालय आज के लिए बंद करने की घोषणा हो जाती है | सभी कार्यालय कर्मी इस आसमयिक दुःख से व्यथित होकर अपने अपने घर चल पड़ते है | बड़े बाबू दफ्तर से निकलते ही मोबाइल लगा कर पत्नी से कहते है "सुनो जी तैयार रहना मैं आ रहा हूँ, आज सिनेमा देखने चलना है"
Comment
आदरणीय भ्रमर जी, आपसे सराहना पाकर श्रम सार्थक हुआ , आभार आपका |
आदरणीया सरिता जी, दरअसल मैं यह समझता हूँ कि लेखक स्वयम कुछ नहीं लिखता बल्कि माँ सरस्वती जब चाहती है तो लिखवा लेती है, मुझपर माँ अपनी कृपा कुछ अंतराल पर करती रहती है :-)))))
सराहना हेतु आभार आपका |
आदरणीय अविनाश बागडे जी, लघु कथा पसंद करने हेतु आभार |
सभी कार्यालय कर्मी इस आसमयिक दुःख से व्यथित होकर अपने अपने घर चल पड़ते है | बड़े बाबू दफ्तर से निकलते ही मोबाइल लगा कर पत्नी से कहते है "सुनो जी तैयार रहना मैं आ रहा हूँ, आज सिनेमा देखने चलना है"
प्रिय बागी जी ..सच को उकेरती रचना ...शीर्षक अच्छा रहा हाथी के दांत .सांप के काटने पर एक युवा की मौत ....मरने पर इकठ्ठा हुए लोग -रोते बिलखते सगे संबंधी एक बाबूजी कंघा निकाल अपना बाल संवारने में लगे थे ....
गणेश जी नमस्कार,
हाथी के दांत
अब मैं सभी सदस्यों से साग्रह अनुरोध है कि वर्तमान थ्रेड ’हाथी के दाँत’ पर इस थ्रेड के अलावे की बातचीत एकदम से बंद हो.
सादर
रवीन्द्र जी,
आपने बिलकुल सही कहा श्रेष्ठवर
मेरी अंतरात्मा मुझे कचोटने लगी मैं बहुत बेचैन हो गया था, मैं टूट कर बिखर ही जाता फिर मुझे आपकी बातें याद आई तो मन को चैन मिला
आपने ही मुझे रास्ता दिखाया है
अप मेरे राहबर हैं
गुरुवर
अब तक मैंने इस मंच पर केवल एक बार ही किसी को बहुत पहले शाष्टांग दंडवत प्रणाम किया था
अब मैं आपको शाष्टांग दंडवत प्रणाम करता हूँ
सादर
आदरणीय रवींद्रजी, आपका सादर आभार कि आपकी कौतुक-कला से माहौल मनसायन हुआ है.. . :-))))
हाँ, साहबजी, आपने सही अंदाज़ लगाया है. यहाँ ओबीओ के मंच पर अवश्य ही एक भरा-पूरा गुट है जिसके पुरोधा प्रधान-सम्पादक आदरणीय योगराजभाईसाहब हैं. इस गुट के अनुयायी वे सभी सदस्य हैं, जिन्हें ’सीखने-सिखाने’ के क्रम में लक्ष्मण का अविवेक नहीं, राम की नम्रता अनुकरणीय लगती है. साथ ही, जिन्हें ओबीओ का मंच अपने रचनाकर्म हेतु उपयुक्त और सकारात्मक मंच लगता है. इसके अलावे किसी अन्य गुट को इस मंच पर अभी तक अधिक दिनों बने रहे नहीं देखा गया है.
दूसरे, साहबजी, किसी रचना को फिचरिंग करने का सर्वाधिकार आदरणीय प्रधानसम्पादक के हाथों में है और उनका यह निर्णय कई-कई विन्दुओं पर निर्भर करता है जिसमें काल-खण्ड की प्रतिबद्धता भी एक विन्दु है. इसके अलावे भी, एक सुघटना को किसी दुर्घटना के परिप्रेक्ष्य में हम न ही देखें. .. . हा हा हा हा ...
आप सभी तो अभी आये हैं, थोड़ा रुकिये, परखिये और फिर ओबीओ के सर्वमान्य एग्झिस्टिंग गुट का हिस्सा बन जाइये. देखियेगा, आप बहुत कुछ कहने से बच जायेंगे... हा हा हा हा...
पुनः, आपका हृदय से सादर आभार, आदरणीय.
इस विषय पर मैं अपने विचार नही रखना चाहता था ! क्योकि मुझे नही लगा कि इससे साहित्य का कोई लाभ होने वाला है ! और मैं उतना ज्ञानी भी नही हूँ कि विद्वानों के बीच बोल सकूँ ! लेकिन वीनस केसरी जी की एक बात पढकर चुप न रह सका
//परन्तु अब मैं आप सभी को आश्वस्त करता हूँ कि आप सभी श्रेष्ठवर में जब तक कोंई शिल्प पर बात नहीं करना चाहेगा मैं स्वयं चर्चा नहीं करूँगा न ही आप लोगों की रचनाओं में शिल्पगत आधार पर कमेन्ट करूँगा // (यदि ये बात रेखांकित सहभागियो के अलावा पुरे मंच के लिए है तो और भी कष्टकर )
वीनस जी से कहना चाहूँगा ये साहित्य के हित में नही है ! आप गज़ल विधा के जानकार है ! आप चर्चा नही करेंगे तो नए और सिखने आने वाले सहभागियों का ज्ञानार्जन कैसे होगा ? क्योकि नए लोग जो आपको नही जानते वो आपको चर्चा के लिए आमंत्रित नही कर सकेंगे ! और उस ज्ञान से वंचित रह जाएँगे जो वो आपसे प्राप्त कर सकते थे ! अनुरोध है वीनस जी , पुनः विचार करें ! क्षमासाहित !
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online