For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"लेवे दी जन्म बेटियन के धरती पर"

लेवे दी जन्म बेटियन के धरती पर

मत बजाएम रऊरा थरीया चाहे

ना तऽ के बजाई,थरीया पितल के

रऊरा भाई-भतीजन के जन्म पर

लेवे दी जन्म बेटियन के धरती पर

मत गाएम रऊरा मंगल गीत चाहे

ना तऽ के गाई गीत

रऊरा लइकन के विआह में

लेवे दी जन्म बेटियन के धरती पर

मत देहब कौनो विश्वास उनका के

ना तऽ कइसे कराएम,रऊरा

दर्ज अदालत में ,मामला घरेलू हिंसा के

लेवे दी जन्म बेटियन के धरती पर

मत देहब कौनो आशीर्वाद उनका के

ना तऽ कइसे देहब रऊरा

गारी माई-बहिन के नाम के

लेवे दी जन्म बेटियन के धरती पर

मत देहब कौनो प्यार उनका के

ना तऽ कइसे जराएम रऊरा

बेटियन के दहेज के नाम पर

लेवे दी जन्म बेटियन के धरती पर

पनपे दिही भ्रूण उनकर

ना तऽ के धारण करी रऊरा

बेटवन के भ्रूण अपना कोख में

Views: 471

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by BIJAY PATHAK on April 17, 2010 at 7:18pm
Bah Babua , kamal ke lilkhle bara
Bahut acha lagal tahar bastawikta ke chitran
Bijay Pathak

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 16, 2010 at 9:44pm
लेवे दी जन्म बेटियन के धरती पर

पनपे दिही भ्रूण उनकर

ना तऽ के धारण करी रऊरा

बेटवन के भ्रूण अपना कोख में

राजू भाई रउवा अपना कविता के माध्यम से एगो बहुत ही बड़ सामाजिक मुद्दा के उठवले बानी, भ्रूण ह्त्या , ह्त्या से भी गंभीर अपराध बा, अगर कोई, कोई के हत्या कर देला त उ बर्तमान के साथ घात करेला, लेकिन भ्रूण हत्या त भविष्य के साथ घात बा, एकरा पर त बहुत कड़ाई से रोक लागे के चाहि, ना त उ दिन दूर नईखे जब बेटा लोग खातिर बहू मिलल बंद हो जाई, और एगो सामाजिक संरचना समाप्त होखे के कगार पर पहुच जाई, बहुत बढ़िया कविता लिखले बानी राजू भाई एह कविता के कवनो जबाब नइखे, हम त बस एतने कहब की अतुलनीय रचना बा राउर,

कईसे सोचल करे के इ अपराध,
माई के काहे ना आइल याद,
उहोओ त कोई के बेटी ही बाड़ी,
बिन उनका तू लोग कहा से अईता ,
संभल जा अबो ना त,
हो जाई इ दुनिया बर्बाद,

हम इहे बिषय पर कुछ दिन पहिले एगो ब्लॉग पोस्ट कैले रहनी रउवा सभे देख सकत बानी,
http://openbooksonline.com/profiles/blogs/5170231:BlogPost:930
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on April 16, 2010 at 7:38pm
bahut badhiya raju bhai hamesha ke tarah ek aur dhamakedaar prastuti.......
लेवे दी जन्म बेटियन के धरती पर
मत बजाएम रऊरा थरीया चाहे
ना तऽ के बजाई,थरीया पितल के
रऊरा भाई-भतीजन के जन्म पर
लेवे दी जन्म बेटियन के धरती पर
bahut badhiya ehi tarah lagal raha.........
Comment by Admin on April 16, 2010 at 4:32pm
लेवे दी जन्म बेटियन के धरती पर

पनपे दिही भ्रूण उनकर

ना तऽ के धारण करी रऊरा

बेटवन के भ्रूण अपना कोख में

बहुत खूब राजू जी , अनमोल , अनमोल, अनमोल, हां अनमोल बा राउर इ रचना और आँख मे अंशु ला देहलस ई राउर कविता, बहुत ही बढ़िया लिखले बानी राजू जी, हमरा लगे शब्द के आकाल हो गइल बा ई रचना के आगे, महान बा ई रचना अपने आप मे, आँख खुल जाये के चाहि उ माई बाप के जी धरती पर आवे से पहिले गला घोट देत बा लक्ष्मी के,
बहुत बहुत धन्यबाद बा ई रचना खातिर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"स्वागतम"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a discussion

पटल पर सदस्य-विशेष का भाषयी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178 के आयोजन के क्रम में विषय से परे कुछ ऐसे बिन्दुओं को लेकर हुई…See More
5 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नीलेश जी, यक़ीन मानिए मैं उन लोगों में से कतई नहीं जिन पर आपकी  धौंस चल जाती हो।  मुझसे…"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय मैं नाम नहीं लूँगा पर कई ओबीओ के सदस्य हैं जो इस्लाह  और अपनी शंकाओं के समाधान हेतु…"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय  बात ऐसी है ना तो ओबीओ मुझे सैलेरी देता है ना समर सर को। हम यहाँ सेवा भाव से जुड़े हुए…"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय, वैसे तो मैं एक्सप्लेनेशन नहीं देता पर मैं ना तो हिंदी का पक्षधर हूँ न उर्दू का। मेरा…"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नीलेश जी, मैंने ओबीओ के सारे आयोजन पढ़ें हैं और ब्लॉग भी । आपके बेकार के कुतर्क और मुँहज़ोरी भी…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नमन, ' रिया' जी,अच्छा ग़ज़ल का प्रयास किया आपने, विद्वत जनों के सुझावों पर ध्यान दीजिएगा,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नमन,  'रिया' जी, अच्छा ग़ज़ल का प्रयास किया, आपने ।लेकिन विद्वत जनों के सुझाव अमूल्य…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आ. भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' ग़ज़ल का आपका प्रयास अच्छा ही कहा जाएगा, बंधु! वैसे आदरणीय…"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण भाई "
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदाब, 'अमीर' साहब,  खूबसूरत ग़ज़ल कही आपने ! और, हाँ, तीखा व्यंग भी, जो बहुत ज़रूरी…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service