For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

-माई तनिक बतावS मोहे, का हो गईल हमसे कसूर.

आज रात के बात, पुरी तरह से बावे याद,
एक छोटी सी,नन्ही सी, प्यारी सी गुड़िया,
करत रहल बहुत ही कातर गुहार,
माई तनिक बतावS मोहे, का हो गईल हमसे कसूर,
दुनिया मे आवे से पहिले, कईल चाहेलू तू अपना से दूर,

तोहरे खून से सिचिंत बानी, तोहरे हई हम त अंश,
अपने हाथ से अपना के मिटा के, कईसे सहबू इ पाप के दंश,
अपने से ही बनावल गुड़िया, कईसे देबू हपने से तूर,
माई तनिक बतावS मोहे, का हो गईल हमसे कसूर,
दुनिया मे आवे से पहिले, कईल चाहेलू तू अपना से दूर,

लईकी अउर लईका मे अब कहवा कवनो बा अन्तर,
लईकी लईका दूनो से ही मिलके, चलत प्रगति के पहिया निरन्तर,
धरती के बात अब छोड़S, चाँन्द पर बेटी करत चढाई,
इन्दिरा,प्रतिभा,मीरा,किरण के देखS, दुनिया मे भारत के मान बढाई,
माई हो तूहू कोई के बिटिया बाडू, कईसे हो गईलू मजबूर,
तोहरो माई गर इहे सोचती, कईसे देख पईतू दुनिया के नूर,
माई तनिक बतावS मोहे, का हो गईल हमसे कसूर,
दुनिया मे आवे से पहिले, कईल चाहेलू तू अपना से दूर,

बाबूजी के समझाSवा माई, ना बेटी रहित त बेटा कहा से आईत,
माई हमार वादा बा सबसे, जनमे त द धरती पर हमके,
नाम करब देश अउर कुल के, कन्धा ऊँचा होई सबकर गरब से,
झटका से खूलल आँख हमार, सपना मे हकीकत से भईल मूलाकात,
बिटिया तू त जान हऊ, वादा बा ई तोहसे हमार,
हर हाल मे तोहके जनम देइब, चाहे मरे के पड़े हमके बार हजार ,
चाहे मरे के पड़े हमके बार हजार, चाहे मरे के पड़े हमके बार हजार I

गनेश जी "बागी"

Views: 708

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on September 14, 2010 at 9:33am
Bada sughar rachana kaile baani bagi ji.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 14, 2010 at 9:14am
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय शेष धर तिवारी जी, गुरु जी, बिजय पाठक जी, मित्र अनिल महतो जी,राणा प्रताप जी, अनुज सह मित्र प्रीतम जी ,अमरेन्द्र जी और राजू जी आप सब ने रचना पसंद करते हुए हौसला अफजाई किया |

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on September 6, 2010 at 6:48pm
बागी भैया बहुत सुन्दर और सार्थक कविता|
Comment by Rash Bihari Ravi on March 31, 2010 at 2:05pm
bahut badhia man khush ho gail
Comment by Raju on March 30, 2010 at 8:50pm
bahut sunader Ganesh bhaiya I dn't have words to comment here........
Comment by BIJAY PATHAK on March 30, 2010 at 3:45pm
baap re baap inha ek se badh ke ek nagina ba bhai,
Bahut 2 sunder
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on March 30, 2010 at 2:55pm
bahut badhiya ganesh bhaiya.........bahut badhiya rachna baa ee...ehi tarah likh ke humni ke laavanwit karat rahi....

Raure aapan
PREETAM TIWARY

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
10 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
14 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
13 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
13 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
13 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
19 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service