आज रात के बात, पुरी तरह से बावे याद,
एक छोटी सी,नन्ही सी, प्यारी सी गुड़िया,
करत रहल बहुत ही कातर गुहार,
माई तनिक बतावS मोहे, का हो गईल हमसे कसूर,
दुनिया मे आवे से पहिले, कईल चाहेलू तू अपना से दूर,
तोहरे खून से सिचिंत बानी, तोहरे हई हम त अंश,
अपने हाथ से अपना के मिटा के, कईसे सहबू इ पाप के दंश,
अपने से ही बनावल गुड़िया, कईसे देबू हपने से तूर,
माई तनिक बतावS मोहे, का हो गईल हमसे कसूर,
दुनिया मे आवे से पहिले, कईल चाहेलू तू अपना से दूर,
लईकी अउर लईका मे अब कहवा कवनो बा अन्तर,
लईकी लईका दूनो से ही मिलके, चलत प्रगति के पहिया निरन्तर,
धरती के बात अब छोड़S, चाँन्द पर बेटी करत चढाई,
इन्दिरा,प्रतिभा,मीरा,किरण के देखS, दुनिया मे भारत के मान बढाई,
माई हो तूहू कोई के बिटिया बाडू, कईसे हो गईलू मजबूर,
तोहरो माई गर इहे सोचती, कईसे देख पईतू दुनिया के नूर,
माई तनिक बतावS मोहे, का हो गईल हमसे कसूर,
दुनिया मे आवे से पहिले, कईल चाहेलू तू अपना से दूर,
बाबूजी के समझाSवा माई, ना बेटी रहित त बेटा कहा से आईत,
माई हमार वादा बा सबसे, जनमे त द धरती पर हमके,
नाम करब देश अउर कुल के, कन्धा ऊँचा होई सबकर गरब से,
झटका से खूलल आँख हमार, सपना मे हकीकत से भईल मूलाकात,
बिटिया तू त जान हऊ, वादा बा ई तोहसे हमार,
हर हाल मे तोहके जनम देइब, चाहे मरे के पड़े हमके बार हजार ,
चाहे मरे के पड़े हमके बार हजार, चाहे मरे के पड़े हमके बार हजार I
गनेश जी "बागी"
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