For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरा देश ( चोका )

देश मेरे में

अजूबे ही अजूबे

करें नमन

लोग पैर छूकर ।

               धरती यहाँ 

               कहलाती माता

               गुरु का दर्जा

               ईश्वर से ऊपर ।

मान देवता 

हो पूजा प्रकृति की

कर्म जीवन  

फल देता ईश्वर ।

               चाहें दिल से

               करें रिश्तों की कद्र

               छोटों से प्यार

               दें बड़ों को आदर ।

नहीं बनाते 

पत्थर के मकान

लोग यहाँ पे

बनाते सदा घर ।

               न डरें कभी 

               न कभी घबराएं 

               आफत से भी

               मिलें मुस्कराकर ।

लगते मेले

ख़ुशी में नाचें लोग

भांति-भांति के

त्यौहार यहाँ पर ।

               दुःख बटाएँ

               अक्सर दूसरों का

               रहते लोग

               मदद को आतुर ।

क्या बताऊं मैं

विशेषता इसकी

नहीं समाती

कागज के ऊपर ।

                रंग अनेक

                भाषाएँ भी अनेक

                फिर भी एक

                हैरां है विश्व भर

                इसको देखकर ।


                         --------- दिलबाग विर्क 


           ***********************   

जापानी विधा -------- चोका 

वर्ण क्रम ------ 5+7+5+7----------- +7  

           ************************  

Views: 469

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on April 3, 2012 at 2:22pm

दिलबाग जी,

दिल बाग बाग है,

चोका विधा की,

कुछ खास बात है|.....सादर बधाइयाँ

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on April 3, 2012 at 1:55pm

भारत वर्ष की पावन भूमि का महिमामयी बखान| चोका विधा से परिचित हो कर अच्छा लगा दिलबाग़ जी|

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 3, 2012 at 7:24am
लवली चौका विर्क जी!
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 2, 2012 at 9:58pm

bhav sundar. vidha ka main jankar nahi. prastuti hetu badhai.

Comment by jaswant gharu on April 2, 2012 at 9:18pm

d.s ji choka very7 good

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service