आज वह (मानव )
पंचभूत में विलीन हो गया
कुछ भी तो नहीं ले जा सका
सबकुछ
जहाँ का तहां विद्यमान हैं
जब जीवन था
तब उसे फुर्सत था कहाँ ?
न संतुष्टि थी
न खुशिया
नित नए खोज में उलझे
वह प्राणी
भाग रहा था
परन्तु आज सबकुछ
ख़त्म हो गया
खाली हाथ आया था
खाली हाथ ही चला गया l
Comment
shukriya dr.saahab apki kimti pratikriya hetu .
जीवन के यथार्थ से रूबरू करती सुंदर रचना के लिए बहुत बहुत बधाई रीता जी !
mahima ji namaskar , bilkul sach kaha ,pratikriya ke liye abhaar
avinash ji namaskar , pratikriya hetu apka bahut-bahut shukriya
नित नए खोज में उलझे
वह प्राणी
भाग रहा था
परन्तु आज सबकुछ
ख़त्म हो गया
खाली हाथ आया था
खाली हाथ ही चला गया l..."sarjana"ji...shashwat saty pe sashakt kalam chalai aapane.
sandip ji shukriya
shukriya dr. sahab,
jawahar ji namaskar , pratikriya tatha sujhav hetu abhaar . mujhe achcha laga apne sujhav diya ,shukriya
adarniy shri kushwaha ji , namaskar , housla afjai tatha maargdarshan hetu apkaa bahut -bahut abhar .main ise sudharti hun ,shukriya
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