For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कभी प्यार हमें भी हो सकता है  , हमने  सोचा न था

दिल हमारा भी यूँ धड़क सकता है , हमने सोचा न था
जिस एहसास से हम गुज़र रहे है वो एहसास,
जिसमे हर पल किसी को पाने की है आस 
हमे भी होगा, सोचा न था |
कोशिशें की उन्हें भुलाने की इस दिल को पत्थर बनाने की
यादों को उनकी मिटाने की 
ख्वाबों को  उनके  भुलाने की
लाखों कोशिशों के बाद भी ये  मिट न पाएंगे,
सोचा न था |
एक बात मगर फिर भी इस दिल में कहीं दबी हुई है
लाख छुपाने की कोशिश की मगर फिर भी आँखों में है
लफ़्ज़ों को भले ही न समझो मगर नज़रों में एक बार झांक तोह लो
क्या है इस दिल के कोने में छिपा उसे पहचान तो लो
मै शायद कल को तुम्हे न मिल  पाऊँ 
शायद तुम्हारी यादों के जहाँ  से भी ओझल हो जाऊं 
लेकिन जो एहसास मेरे दिल मै तुम्हारे लिए जागा है
वो  एहसास कभी कम न होगा 
प्यार तो कई बार तुम्हारे सामने आएगा 
लेकिन सबसे गहरा और वफादार  सिर्फ मेरा ही होगा 
तब तुम भी कहोगे, मुझे  इतना प्यार करने वाला भी हो  सकता है कोई अपना, 
मैंने भी सोचा न था |

Views: 409

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 14, 2012 at 4:34am

कभी प्यार हमें भी हो सकता है  , हमने  सोचा न था .....   क्यों भाई ?

Comment by Rohit Dubey "योद्धा " on April 13, 2012 at 7:44pm

Bahut bahut dhanyavad  MAHIMA SHREE  Jee

Comment by MAHIMA SHREE on April 13, 2012 at 1:58pm
रोहित जी , नमस्कार ,
भाव अच्छे आये है और सच्चे आये है...
बधाई..
Comment by Rohit Dubey "योद्धा " on April 13, 2012 at 12:09pm

PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA  Thanx a ton Sir jee

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 13, 2012 at 12:01pm

sundar bhav purna rachna, badhai.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Saurabh Pandey's blog post गजल - जा तुझे इश्क हो // -- सौरभ
"आ. सौरभ सर श्राप है या दुआ जा तुझे इश्क़ हो मुझ को तो हो गया जा तुझे इश्क़ हो..इस ग़ज़ल के…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. नाथ जी "
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. विजय जी "
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. अजय जी "
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. समर सर. पता नहीं मैं इस ग़ज़ल पर आई टिप्पणियाँ पढ़ ही नहीं पाया "
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. रचना जी "
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की- लगती हैं बेरंग सारी तितलियाँ तेरे बिना
"धन्यवाद आ. तेजवीर सिंह जी "
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - उन  के बंटे जो  खेत तो  कुनबे बिखर गए
"धन्यवाद आ. आशुतोष जी "
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की-जिस्म है मिट्टी इसे पतवार कैसे मैं करूँ
"धन्यवाद आ. समर सर "
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Saurabh Pandey's blog post खत तुम्हारे नाम का.. लिफाफा बेपता रहा // सौरभ
"आ. सौरभ सर,मोएन जो दारो की ख़ुदाई से एक प्राचीन सभ्यता के मिले अवशेष अभी देख रहा हूँ..यह ग़ज़ल कैसे…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post खत तुम्हारे नाम का.. लिफाफा बेपता रहा // सौरभ
"आदरणीय, सहमति के लिए हार्दिक धन्यवाद"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service