For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये दुनिया की रस्मे

ये दुनिया की रस्मे
ये रीति- रिवाज
नहीं काम की चीज कुछ भी
आज....................


ख़त्म हो रहा है
मोहब्बत का रिश्ता
वफा बन गयी है
वफा की मोहताज
ये दुनिया की रस्मे..................


तडपता - तरसता
हर दिल यहाँ है
प्यार पल पल में होता
बदलता जहाँ है
लाख अपराध कर ले
चाहिए फिर भी
सभ्य समाज
ये दुनिया की रस्मे ...................


न खुशिओ की चर्चा , न गम का फ़साना
ये दुनिया है मेला , न कोई ठिकाना
ये सच जनता है हर एक इंसान
मगर अनसुनी कर रहा है
मन की आवाज
ये दुनिया की रस्मे ....................!!

Views: 497

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Yogi Saraswat on July 3, 2012 at 3:46pm

न खुशिओ की चर्चा , न गम का फ़साना
ये दुनिया है मेला , न कोई ठिकाना
ये सच जनता है हर एक इंसान
मगर अनसुनी कर रहा है
मन की आवाज
ये दुनिया की रस्मे ...................

वाह ! बहुत खूब ! सुन्दर पंक्तियाँ सोनम जी !

Comment by MAHIMA SHREE on April 21, 2012 at 10:21am
तडपता - तरसता
हर दिल यहाँ है
प्यार पल पल में होता
बदलता जहाँ है
लाख अपराध कर ले
चाहिए फिर भी
सभ्य समाज
ये दुनिया की रस्मे ...
bahut khub sonam ji badhai aapko
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 18, 2012 at 11:16pm

न खुशिओ की चर्चा , न गम का फ़साना
ये दुनिया है मेला , न कोई ठिकाना
ये सच जनता है हर एक इंसान
मगर अनसुनी कर रहा है
मन की आवाज
ये दुनिया की रस्मे ..

sundar bhav. badhai.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on April 17, 2012 at 6:24pm

न खुशिओ की चर्चा , न गम का फ़साना
ये दुनिया है मेला , न कोई ठिकाना
ये सच जनता है हर एक इंसान
मगर अनसुनी कर रहा है
मन की आवाज

बहुत अच्छे विचार प्रस्तुत किये आपने| रचना पसंद आई| आभार,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 17, 2012 at 5:31pm

Sonam saini ji aaj ke halaat par likhi achchi bhavabhivyakti.badhaai.

Comment by आशीष यादव on April 17, 2012 at 5:09pm

लाख अपराध कर ले
चाहिए फिर भी
सभ्य समाज 
ये दुनिया की रस्मे ...................

bilkul sahi likha hai.

achchhi rachna.

badhai

Comment by Abhinav Arun on April 17, 2012 at 1:33pm

ख़त्म हो रहा है
मोहब्बत का रिश्ता
वफा बन गयी है
वफा की मोहताज
ये दुनिया की रस्मे..................

दौर और हालात की खुबसूरत बयानी करती रचना हार्दिक बधाई सोनम जी  आपको !!

Comment by Sonam Saini on April 17, 2012 at 9:57am

Thank You sir.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 16, 2012 at 8:34pm

ये सच जानता है हर एक इंसान
मगर अनसुनी कर रहा है


सोनम सैनी जी अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकारें |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service