इश्क की कोमल भावनाओ से
अछूती है मेरी कविताये
Comment
क्या बात है दिव्या जी आपने तो अपनी कविता में प्रेम के वो सारे अनछुए एहसासों को पन्ने पर उकेर डाला है और कहती है हमें पता नहीं की ये प्रेम क्या होता है और इसके एहसास क्या होते हैं .....बहुत दिनों के बाद ऐसी रचना पढने को मिली .....आपको दिल से बधाई
वाह आह वाह आह दिव्या जी सिर्फ यही शब्द हैं कुछ और शेष हैं ही नहीं, किन शब्दों में आपकी सराहना करूँ किन शब्दों में मन के भीतर उठ रहे भावों को व्यक्त करूँ. निःशब्द कर दिया है आपने, शब्दकोष से सारे शब्द आपने चुरा लिए हैं. आनंद आ गया काफी अरसे के बाद ऐसी रचना मिली है पढ़ने. दिल से भर भर के ढेरों बधाई स्वीकारें.
ye painting bhi aapki hai kya?
मेरे तो सब्द ही खो गए क्या लिखूं आपकी तारीफ में
अति सुन्दर
आदरणीय सौरभ सर जी, मुक्त कंठ से प्रशंसा के लिए आप का ह्रदय से आभार | आप की इस उम्मीद पर खरा उतरने की पूरी पूरी कोशिश रहेगी | आप के आशीष का हाथ सदा चाहूंगी | गलतियों की तरफ ध्यान दिलाने के लिए आभार अगली बार कोशिश रहेगी ये टंकण दोष न हो | एक बार फिर से आप का शुक्रिया
आदरणीया सरिता सिन्हा जी, आप का तहे दिल से शुक्रिया
दिव्या जी....... . देर तक गुम रहा... बेबोल... . अद्भुत भाव-संसार में उछाल दिया आपने.
खुले दिल से कहूँ, तो, ओबीओ के पटल पर अबतक की प्रतीक्षित रचना थी.
इस पटल पर कई बार कई-कई रचनाकारों द्वारा वयस के इस मुलायम मोड़ की अभिनव अनुभूतियों को अभिव्यक्त करती रचनाएँ आयीं हैं, किन्तु, हर बार ’कुछ और..’ की पिपासा के साथ मेरा पाठक मन प्रछन्न बना रह गया था. आज आपकी इस प्रवहमान रचना ने एकबारगी संतृप्त कर दिया. शब्द, भाव, अभिव्यक्ति और छंदमुक्तता का शिल्प, सबकुछ सामञ्जस्य में है. ईश्वर आपके रचनाकर्म को अनवरत प्रखर करता रहे.
आपसे हम सभी ने बहुत उम्मीदें लगा रखी हैं, दिव्याजी. हृदय की गहराइयों से शुभकामनाएँ.
ध्यातव्य : अक्षरी और व्याकरण सम्बन्धी दोषों के प्रति संवेदनशील रहें. वर्ना रुमानी खयालों के हलवे को गुलगुलाने के आनन्द में ऐसे दोष बेतरीके पड़े कंकड़ से कस के लगते हैं.
दिव्या जी नमस्कार ,
आदरणीया राजेश कुमारी जी, इस प्यारी सी प्रतिक्रिया के लिए आप का तहे दिल से आभार
दिव्या जी आपने रचना के माध्यम से पहले प्रेम में उभरते दिली भावों को बड़ी चतुरता से कह डाला बड़ा सुन्दर लगा यह अंदाज इस प्यारी सी भोली सी रचना के लिए हार्दिक बधाई
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