For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

        ज्वालाशर छंद

१६ ,१५ पर यति अंत में दो गुरू (२२)

**********************************************

 

संकीर्णताओं से बचाती, निष्काम कर्म भावना ही.

हो जायें प्रवृत्त मनुज सभी, अधार हो सदभावना ही.

कर्तव्य का बस बोध होवे,इच्छा न कुछ पाने की हो,

संकल्पना कहती सदा ये,आशा सुधर जाने की हो.

 कोई मार्ग खोजें मुक्ति का,आशय जीवन का यही है.

सद्कर्म से सम्भव बने यह,विचार दर्शन का सही है.

कल्याण का है भाव जिसमे,मोक्ष पथ पर वह बढ़ेगा.

सद्कर्म पर जो चल रहे नर,हर कोई गाथा पढ़ेगा.

ना हो अहित मम कर्म से कुइ,परहित हो कुर्बां जवानी.

हमें वास्ता क्या कर्मफल से,सद्कर्म में आये रवानी

शैलेन्द्र कुमार सिंह "मृदु"

 

Views: 773

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 30, 2012 at 9:38pm

आदरणीय मुकेश  सर प्रोत्साहन हेतु कोटि कोटि आभार

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 30, 2012 at 9:38pm

आदरणीय सतीश सर प्रोत्साहन हेतु कोटि कोटि आभार

Comment by Mukesh Kumar Saxena on April 30, 2012 at 9:23pm

कर्म में यह भावना हो तो कोई बात बने ।

निष्काम हर कामना हो तो कोई बात बने ।


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on April 25, 2012 at 12:58pm
भाई शैलेन्द्र जी

हलाकि आपने श्री चंद्रशेखर सिंह "चन्द्र" जी की पुस्तक छंद मंजूषा के उस पृष्ठ की स्कैन्ड कॉपी प्रेषित की है जिस में "ज्वालाशर" छंद के शिल्प के बारे में जानकारी दी गई  है. इस सम्बन्ध में मेरी आदरणीय अम्बरीश भाई जी से भी बात हुई. दरअसल "छंद प्रभाकर" सहित किसी भी अन्य प्राचीन ग्रन्थ में इस छंद का उल्लेख नहीं मिलता. यह छंद वास्तव में "बाण सवय्या" है जिसे किन्ही कारणों से "ज्वालाशर" छंद का नाम दे दिया गया है. भाई काहन सिंह नाभा द्वारा रचित "गुरु शब्द रत्नाकर महाकोश" के पन्ना नंबर ६५३ में इस छंद का उल्लेख किया गया है:

सवय्ये का दूसरा रूप है "बाण", लक्षण: प्रति चरण ३१ मात्राएँ, १६  और १५ पर विश्राम. अंत में दो गुरु.
.
उदहारण:       
.
अमृत नाम तुम्हारा ठाकुर, हेहु महारस जनहि पीयो
जनम जनम चूके मैं मारे, दुरतु बिना सिय मरतु बीयो    

.
अत: मेरे निजी मत है कि शिल्प की दृष्टि से यह  "बाण सवय्या" छंद के ज्यादा नज़दीक है. .  

Comment by satish mapatpuri on April 25, 2012 at 1:47am

कल्याण का है भाव जिसमे,मोक्ष पथ पर वह बढ़ेगा.

सद्कर्म पर जो चल रहे नर,हर कोई गाथा पढ़ेगा.

बहुत खूब मृदु जी .... बधाई

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 24, 2012 at 11:03pm

आदरणीय प्रदीप सर सादर नमन, प्रोत्साहन हेतु कोटि कोटि धन्यवाद

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 24, 2012 at 10:39pm

संकीर्णताओं से बचाती, निष्काम कर्म भावना ही.

हो जायें प्रवृत्त मनुज सभी, अधार हो सदभावना ही.

bahut sundar sandesh, adarniy mradu ji, badhai. 

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 24, 2012 at 7:17pm

आदरणीय छोटू जी प्रोत्साहन हेतु आपका कोटिशः धन्यवाद

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 24, 2012 at 6:51pm

आदरणीय ARVIND KUMAR TIWARI जी उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार

Comment by ARVIND KUMAR TIWARI on April 24, 2012 at 6:42pm

आदरणीय मृदु जी निष्काम कृति पढ़ी, आपने बिल्कुल सास्वत सत्य को प्रतिस्थापित किया है अपनी कविता में, हृद्यिक बधाई स्वीकार करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
13 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service