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"न जाने क्यूँ किसी को खल रहा हूँ"

न  जाने  क्यूँ  किसी  को  खल  रहा  हूँ ,
मै  अपनी  रह  गुज़र  पर  चल  रहा  हूँ ....

दीया  हूँ  हौसलों का इसलिए मै ,
मुकाबिल  आँधियों  के  जल  रहा  हूँ ....

मै  तेरे  नाम  की  शोहरत  हूँ  शाएद ,
इसी  बयेस  सभी  को  खल  रहा  हूँ .....

मुझे  तू  याद  रखे  या  भुला  दे ,
मै  तेरी  याद  में  हर  पल  रहा  हूँ ....

उसी  ने  रिश्ता -ए -दिल  तोड़   डाला ,
मै  जिसके  वास्ते बे -कल  रहा  हूँ ....

खुदा  का  शुक्र  है  ''रिजवान '' अब  तक ,
मै  अपनी  जुस्तुजू  में  चल  रहा  हूँ .....



"रिजवान खैराबादी"

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Comment by MOHD. RIZWAN (रिज़वान खैराबादी) on October 28, 2015 at 10:44am
शुक्रिया आप सभी का
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 26, 2013 at 3:31pm
"वाह! क्या बात है, रिजवान भाई ..""न जाने क्यूँ किसी को खल रहा हूँ, मै अपनी रह गुजर पर चल रहा हूँ...मुझे तू याद रखे या भुला दे, मैं तेरी याद में पल रहा हूँ...उसी ने रिश्ता-ए-तोड़ डाला, मैं जिसके वास्ते बे-कल रहा हूँ..."बहुत खूब...रिजवान भाई, शुभकामनाऐं
Comment by MOHD. RIZWAN (रिज़वान खैराबादी) on May 17, 2012 at 9:51pm

हौसला अफजाई का शुक्रिया.............. 


Comment by Roshni Dhir on May 6, 2012 at 10:54pm

रिजवान जी,

मुझे  तू  याद  रखे  या  भुला  दे ,
मै  तेरी  याद  में  हर  पल  रहा  हूँ..

बहुत सुंदर गज़ल हर शेर खूबसूरत 

Comment by MOHD. RIZWAN (रिज़वान खैराबादी) on May 6, 2012 at 10:50pm
Thanx
Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on May 6, 2012 at 7:27pm

दीया  हूँ  हौसलों का इसलिए मै ,
मुकाबिल  आँधियों  के  जल  रहा  हूँ

वाह-वाह जनाब! क्या ख़ूब तेवर दिखाए हैं आपने अपनी ग़ज़ल में| ख़ुशामदीद रिज़वान जी!

Comment by आशीष यादव on May 6, 2012 at 12:25am

वाह रिजवान सर, सारे शे'र दमदार। पूरी गजल ही दमदार। सारे शे'र बहुत पसन्द आये।
बधाई स्वीकारें

Comment by वीनस केसरी on May 5, 2012 at 11:45pm

दीया  हूँ  हौसलों का इसलिए मै ,
मुकाबिल  आँधियों  के  जल  रहा  हूँ ....

बढ़िया शेर कह दिया है भाई रिजवान
आंधी और दिया पर शइरों ने इतना कुछ कह दिया है कि इस विषय को नई कहन में प्रस्तुत करना एक चुनौती ही है जिस पर आप खरे उतरे हैं ...

आपकी ग़ज़ल आपका जो परिचय पेश कर रही है उसके अनुसार आपको यहाँ देख कर खुशी हुई
तहे दिल से स्वागत है


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 5, 2012 at 8:47pm

रिजवान जी, सभी शे'र खुबसूरत ख्यालात से लबरेज हैं, अच्छी ग़ज़ल कही है |

इसी  बयेस  सभी  को  खल  रहा  हूँ....मुझे लग रहा की शायद "बयेस" में टंकण त्रुटी है | बहरहाल दाद कुबूल करे जनाब |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 5, 2012 at 8:16pm

मै  तेरे  नाम  की  शोहरत  हूँ  शाएद ,
इसी  बयेस  सभी  को  खल  रहा  हूँ .....रिजवान साहब हर शेर दिल में उतरता है आपका ...वाह .....   इससे ज्यादा और क्या कहूँ  

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