न जाने क्यूँ किसी को खल रहा हूँ ,
मै अपनी रह गुज़र पर चल रहा हूँ ....
दीया हूँ हौसलों का इसलिए मै ,
मुकाबिल आँधियों के जल रहा हूँ ....
मै तेरे नाम की शोहरत हूँ शाएद ,
इसी बयेस सभी को खल रहा हूँ .....
मुझे तू याद रखे या भुला दे ,
मै तेरी याद में हर पल रहा हूँ ....
उसी ने रिश्ता -ए -दिल तोड़ डाला ,
मै जिसके वास्ते बे -कल रहा हूँ ....
खुदा का शुक्र है ''रिजवान '' अब तक ,
मै अपनी जुस्तुजू में चल रहा हूँ .....
Comment
हौसला अफजाई का शुक्रिया..............
रिजवान जी,
मुझे तू याद रखे या भुला दे ,
मै तेरी याद में हर पल रहा हूँ..
बहुत सुंदर गज़ल हर शेर खूबसूरत
दीया हूँ हौसलों का इसलिए मै ,
मुकाबिल आँधियों के जल रहा हूँ
वाह-वाह जनाब! क्या ख़ूब तेवर दिखाए हैं आपने अपनी ग़ज़ल में| ख़ुशामदीद रिज़वान जी!
वाह रिजवान सर, सारे शे'र दमदार। पूरी गजल ही दमदार। सारे शे'र बहुत पसन्द आये।
बधाई स्वीकारें
दीया हूँ हौसलों का इसलिए मै ,
मुकाबिल आँधियों के जल रहा हूँ ....
बढ़िया शेर कह दिया है भाई रिजवान
आंधी और दिया पर शइरों ने इतना कुछ कह दिया है कि इस विषय को नई कहन में प्रस्तुत करना एक चुनौती ही है जिस पर आप खरे उतरे हैं ...
आपकी ग़ज़ल आपका जो परिचय पेश कर रही है उसके अनुसार आपको यहाँ देख कर खुशी हुई
तहे दिल से स्वागत है
रिजवान जी, सभी शे'र खुबसूरत ख्यालात से लबरेज हैं, अच्छी ग़ज़ल कही है |
इसी बयेस सभी को खल रहा हूँ....मुझे लग रहा की शायद "बयेस" में टंकण त्रुटी है | बहरहाल दाद कुबूल करे जनाब |
मै तेरे नाम की शोहरत हूँ शाएद ,
इसी बयेस सभी को खल रहा हूँ .....रिजवान साहब हर शेर दिल में उतरता है आपका ...वाह ..... इससे ज्यादा और क्या कहूँ
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