For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये है कंप्यूटर सदी यानि ज़माना है नया ,

मंजिले  ऊँची  बनाना  आज  की  तामीर  है , 
इस  सदी  की  दोस्तों  कितनी  अजब  तस्वीर  है ... 

ये  है  कंप्यूटर  सदी  यानि  ज़माना  है  नया , 
कितनी  आसानी  से  बदली   जा  रही  तस्वीर  है ... 

क्या  कटेगी  ज़िन्दगी  अपनों  की  मोबाईल  बगैर , 
ये  हमारे  दौर  की  मुंह   बोलती  तस्वीर  है ... 

क्या  भला  है , क्या  बुरा  है  ये  कोई  सोचे  ज़रा , 
किस  क़दर  बे -पर्दगी  में  आज  की  तस्वीर  है ... 

अपनी  मेहनत   का  नतीजा   देख  ले   "रिजवान " तू , 
हर  तरफ  शोहरत  तेरी  ए-दोस्त  आलमगीर  है ...



"रिजवान खैराबादी"

Views: 582

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MOHD. RIZWAN (रिज़वान खैराबादी) on October 29, 2015 at 2:57pm

shukriya

Comment by Rekha Joshi on May 17, 2012 at 10:38pm

क्या  कटेगी  ज़िन्दगी  अपनों  की  मोबाईल  बगैर , 
ये  हमारे  दौर  की  मुंह   बोलती  तस्वीर  है ... 

rijwaan ji ,achchhi rachna pr badhai 

Comment by MOHD. RIZWAN (रिज़वान खैराबादी) on May 9, 2012 at 9:34pm

शुक्रिया..........


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 9, 2012 at 5:44pm

बहुत सामायिक रचना आज कल नए नए तकनीकी उपकरण ही लोगों की जिंदगी को चला रहे हैं हर कहीं मशीनीकरण है .बहरहाल बधाई कबूल करें 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 8, 2012 at 5:06am

क्या  भला  है , क्या  बुरा  है  ये  कोई  सोचे  ज़रा , 
किस  क़दर  बे -पर्दगी  में  आज  की  तस्वीर  है ... 
rijwaan jee, badhai khoobsoorat prastuti ke liye!

Comment by राज लाली बटाला on May 8, 2012 at 1:31am

Khiaal achhe hai Rizwan ji !

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 7, 2012 at 11:42pm

क्या  कटेगी  ज़िन्दगी  अपनों  की  मोबाईल  बागीर , 
ये  हमारे  दौर  की  मुंह   बोलती  तस्वीर  है ... 

क्या  भला  है , क्या  बुरा  है  ये  कोई  सोचे  ज़रा , 
किस  क़दर  बे -पर्दगी  में  आज  की  तस्वीर  है ... 

सही कहा आप ने अब हम भी मशीन बनते जा रहे हैं अपनापन तो गया  ..जय श्री राधे ....भ्रमर ५ 

Comment by Abhinav Arun on May 7, 2012 at 6:26pm

सही हम आज तकनीक  के हाथ ही जी रहे हैं सुन्दर रचना भाव भूमि प्रशंसनीय है !!

Comment by आशीष यादव on May 7, 2012 at 5:11pm

क्या  भला  है , क्या  बुरा  है  ये  कोई  सोचे  ज़रा , 
किस  क़दर  बे -पर्दगी  में  आज  की  तस्वीर  है ...

जी खुश हो गया। एक बेहतरीन रचना पर बधाई स्वीकारें

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 7, 2012 at 1:55pm

बहुत सुन्दर आज के jamane की तस्वीर khinchi है. कुछ शब्दों के bhavrth de dete to सरलता होती. बधाई. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन।उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
10 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है हार्दिक बधाई।"
56 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"जहां हम मिले थे, जहां से चले थेचलो वापसी उस डगर धीरे धीरे एक प्रभावशाली गजल हुई है आ. पूनम जी।…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करेगी सुधा मित्र असर धीरे-धीरे -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई तिलकराज जी सादर अभिवादन। यह तरही से अलग है। इस पर आपसे मार्गदर्शन की अपेक्षा है। नेट की…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करेगी सुधा मित्र असर धीरे-धीरे -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। मक्ता सुधारने का…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"तू पहले नदी  में  उतर धीरे-धीरेकटेगा तेरा फिर सफ़र धीरे-धीरे।१।*बहा ले न जाए सँभल तेज़…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"122 122 122 122  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे करेगी मुहब्बत असर धीरे धीरे 1 भरोसा नहीं…"
6 hours ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"सुलगता रहा इक शरर धीरे धीरे जलाता रहा वो ये घर धीरे धीरे मचाया हवाओं ने कुहराम ऐसा गिरा टूट कर हर…"
15 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"रदीफ़ क़ाफ़िया में तो ऐसा कोई बंधन नहीं है इसलिये आपका प्रश्न स्पष्ट नहीं है। "
15 hours ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"नमस्कारक्या तरही मिसरे में लिंग अनुसार बदलाव करसकते हैंक्यूंकि उसे मैं अपने अनुसार प्रयोग…"
16 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"स्वागत है।"
17 hours ago
Tilak Raj Kapoor commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करेगी सुधा मित्र असर धीरे-धीरे -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"यह तरही के लिए है या पृथक से?"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service