मैंने अपनी हर दुआ में बस तुझे मांगा यहाँ
तेरे आने से मिला है अब मुझे सारा जहाँ
लब हैं नाजुक पंखुड़ी से ये गुलाबों की तरह
जुल्फों में उलझे पड़े जो जी रहे हैं अब कहाँ
भूलूं कैसे "दीप" आखिर वो हया रुखसार की
उनके बिन कैसे रहूँगा मैं यहाँ औ वो वहाँ
…………."दीप"…………..
Comment
बहुत बहुत शुक्रिया इस हौशलाफजाई के लिए CHOTU SINGH जी
आपका तहे दिल से शुक्रिया इस हौशलाफजाई के लिए @rajesh kumari जी
sundar bhaav sundar rachna badhaai deep ji
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