For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक गाना प्यार का ...

सांस  में सुर सनसनाना प्यार का
ज़िन्दगी है  ताना बाना  प्यार का

मौत से कह दूंगा, रुक जा दो घड़ी
आने वाला है  ज़माना  प्यार का

यों तो हर मौसम का अपना रंग है
पर लगे मौसम सुहाना प्यार का

उफ़ जवानी का ये आलम जानेमन
और उस पर उमड़ आना  प्यार का

चीज  है अनमोल, पर बाज़ार में
नहीं मिलेगा चार आना प्यार का

बैठे ठाले यों ही कुछ कुछ लिख दिया
ख़ुद-ब-ख़ुद बन बैठा गाना प्यार का 

है मुकद्दरमन्द जिसको मिल गया
ज़िन्दगी में गुनगुनाना प्यार का

उस घड़ी मत रोकना "अलबेला" को
जब लबों पर हो तराना प्यार का

_______JAI HIND

Views: 927

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on May 30, 2012 at 11:12pm

आपका लाख लाख शुक्रिया  सौरभ पाण्डेय जी,
आपकी सराहना से  मेरी लेखनी को बल मिला है
जय हो !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 30, 2012 at 10:59pm

उफ़ जवानी का ये आलम जानेमन
और उस पर उमड़ आना प्यार का

उस घड़ी मत रोकना "अलबेला" को
जब लबों पर हो तराना प्यार का

बहुत सुन्दर .. अलबेला जी.  आपकी ग़ज़ल अच्छी लगी. .. प्यार भरी !

Comment by Albela Khatri on May 30, 2012 at 10:43pm

आदरणीय उमाशंकर मिश्रा जी, आपने प्यार से देखा इस प्यार की  रचना को मेरे लिए इससे प्यारी बात और क्या हो सकती है..........आपका प्यार ज़िन्दाबाद !

सराहना के लिए दिली शुक्रिया

Comment by UMASHANKER MISHRA on May 30, 2012 at 10:23pm

प्यार भरी प्यारी रचना भाई अलबेला खत्री जी

बहुत बढिया रचना है |वाह वाह ही  कर सकते हैं|

इतनी सुन्दर रचना के लिए ..धन्यवाद

Comment by Albela Khatri on May 30, 2012 at 10:04pm

प्यार चीज़ ही ऐसी है  राजेश कुमारी जी,  इस पर सदियों से लिखा जा रहा है और आगे भी लिखा जाएगा  परन्तु  नित्य नये  अन्दाज़ मिलते रहेंगे कहन को..................बहरहाल आपने रचना को सराहा  तो  उतना सुकून और  आनन्द मिला  जितना  पद्मश्री  के अधिकारी को पद्मभूषण प्राप्त होने पर मिलता है
आपकी  सराहना महत्व रखती है . शुक्रिया............. जय हिन्द !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 30, 2012 at 9:57pm

इस अकेले शेर ने ही सारे नंबर लूट लिए क्या बात है बहुत सुन्दर ग़ज़ल लिखी है 

मौत से कह दूंगा, रुक जा दो घड़ी 
आने वाला है  ज़माना  प्यार का 

Comment by Albela Khatri on May 30, 2012 at 5:02pm

बहुत बहुत शुक्रिया  "बागी" जी
नमन आपको


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 30, 2012 at 4:56pm

//यों तो हर मौसम का अपना रंग है
पर लगे मौसम सुहाना प्यार का//

बिलकुल सटीक कहन, बहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल, बहुत बहुत बधाई आदरणीय खत्री साहिब |

Comment by Albela Khatri on May 30, 2012 at 3:17pm

आपका  हार्दिक धन्यवाद  प्रदीप कुमार  सिंह कुशवाहा  जी,
हम प्यार का तराना  गायेंगे साथ साथ
मौसम-ए-आशिकाना लाएंगे साथ साथ

जय हो आपकी......बहुत बहुत  शुक्रिया 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 30, 2012 at 3:03pm

आदरणीय अलबेला जी, सादर 

उस घड़ी मत रोकना "अलबेला" को 
जब लबों पर हो तराना प्यार का 
कतई नहीं रोकेंगे , हम भी प्यार का तराना साथ साथ गायेंगे. बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
13 minutes ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
12 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
12 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
13 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
14 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
14 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
14 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"वज़न घट रहा है, मज़ा आ रहा है कतर ले मगर पर कतर धीरे धीरे। आ. भाई तिलकराज जी, बेहतरीन गजल हुई है।…"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
14 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीया, पूनम मेतिया, अशेष आभार  आपका ! // खँडहर देख लें// आपका अभिप्राय समझ नहीं पाया, मैं !"
14 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service