For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धुंए का शौक लग गया तो ज़िन्दगी गई

आज 31 मई विश्व  तम्बाकू  विरोधी दिवस पर एक  विशेष रचना


सुट्टों ने सोखा जिस्म, सेहतमन्दगी गई
धुंए का शौक लग  गया तो  ज़िन्दगी गई

छुप छुप के पीना छोड़, खुल्लेआम पी रहे
माँ की  लिहाज़,  बाप से शरमिन्दगी गई

गुटखा चबाने वाले की पिचकारी गज़ब थी
धोयी बहुत दीवार, पर न गन्दगी गई

ज़र्दा चबा चबा के मुँह को सन्त कर दिया
अब स्वाद और मसालों की पसन्दगी गई

अलबेलाजी दिन रात खोहों खोहों खांसते
पूजा, हवन,  नमाज़ गई,  बन्दगी गई

जय हिन्द !

Views: 1101

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 31, 2012 at 6:03pm

नहले  दहले तो सब अलबेला भाई जी के ही हैं, मेरी तुकबन्दियाँ तो दुग्गी-तिग्गी ही हैं राजेश कुमारी जी

Comment by Albela Khatri on May 31, 2012 at 5:57pm

दहला तो आपने मारा था राजेश जी, प्रभाकर जी ने तो इक्का ही  टिका दिया ....अब मेरे पास तो  जोकर भी नहीं...हा हा हा

Comment by Albela Khatri on May 31, 2012 at 5:54pm

देख लो योगराज प्रभाकर जी,  आपने "वो" स्वीकार नहीं की  तो मैंने  "ये" लिख दी....हम भी बालक ज़रा जिद्दी टाइप के हैं .....मानेंगे नहीं  घुच्ची में अन्टारे डाले बिना......{  अन्टारे यानी   कांच की  वे गोलियां  जिससे  बचपन में आप भी खेले होंगे }

आपकी यह बात दिल में उतर गई कि हास्य अगर सन्देश दे, तभी उसकी सार्थकता है . माशाल्लाह अपे शे'र तो गज़ब ढा गये......बधाई भाई जी....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 31, 2012 at 5:51pm

देखा पकड़ लिया ना!!वैसे भी आप फिल्म और टीवी कलाकार जिस चीज का ऐड देते हैं वो खुद कभी इस्तमाल नहीं करते |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 31, 2012 at 5:40pm

वाह योगराज जी इसे कहते हैं नहले पे देहला 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 31, 2012 at 5:37pm

I share this link on facebook.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 31, 2012 at 5:34pm

आद. अलबेला जी, बहुत बढ़िया कहा है. असली मिजाह वो जो साथ में सन्देश भी देता हो, वो ही बात आपकी रचना से नुमाया हो रही है, मेरी दिली मुबारकबाद स्वीकारें, आपकी इस ग़ज़ल के नाम मेरी दो तुकबन्दियाँ हाज़िर हैं:

कमरे को बना डाला उसने थूकदान सा
कुछ इस क़दर ऊंचाई पर बेहूदगी गई

ताक़त की गोलियां भी, करेंगी ना फायदा
सिगरेट जो लग गई, तेरी मर्दानगी गई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 31, 2012 at 5:34pm

लाजबाब सम सामायिक रचना आज के दिवस के लिए ही नहीं हमेशा के लिए सच बताइये खत्री जी आप सिगरेट ???

Comment by Albela Khatri on May 31, 2012 at 5:25pm

शुक्रिया  संदीप कुमार पटेल साहेब,  बहुत बहुत  शुक्रिया
आज ३१ मई थी तो सोचा....आज कुछ तूफानी करते हैं.....हा हा हा
सराहना के लिए आभारी हूँ

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 31, 2012 at 5:21pm

आज के परिवेश में लिखी गयी बेहतरीन ग़ज़ल आपकी क्या बात है साहब बहुत खूब

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service