दहशत-वहशत, ख़ूनखराबा बाबाजी
गुंडई ने है अमन को चाबा बाबाजी
काम से ज़्यादा संसद में अब होता है
हल्ला-गुल्ला, शोर-शराबा बाबाजी
मैक्डोनाल्ड में रौनक बढती जाती है
उजड़ रहा पंजाबी ढाबा बाबाजी
मन मधुबन के भीतर सारे तीरथ हैं
काशी-वाशी , क़ाबा-वाबा बाबाजी
देश समूचा खा कर ही पिंड छोड़ेंगे
दिल्ली पर जिनका है ताबा बाबाजी
कवि हो तो 'अलबेला' ऐसा गीत लिखो
लोग कह उठें शाबा शाबा बाबाजी
जय हिन्द !
Comment
आपकी सराहना और सहमति के लिए हार्दिक आभार योगेश शिवहरे जी.......
काम से ज़्यादा संसद में अब होता है
हल्ला-गुल्ला, शोर-शराबा बाबाजी
bilkul sach kaha apne ..yahi to ho raha hai
आदर्य योगराज प्रभाकर भाईजी,
यह सच है कि आप कभी ग़ैर संजीदा नहीं होते, लेकिन ये भी उतना ही सच है कि मैं कभी संजीदा नहीं होता ........फिर भी कमाल देखिये मोहब्बत और भाईचारे का कि दोनों इक दूजे को न केवल पसन्द करते हैं बल्कि सम्मान भी देते हैं ........बहरहाल आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मायने रखती है
धन्यवाद आपके द्वारा मिलने वाली शाब्दिक ऊर्जा का .
अलबेला भाई जी, विश्वास रखें मैं कभी भी गैर संजीदा टिप्पणी नहीं दिया करता. रचना अच्छी लगे या बुरी, जो कहता हूँ दिल से ही कहता हूँ. सादर.
सम्मान्य योगराज प्रभाकर जी,
मेरे लिए इससे ज़्यादा ख़ुशी की बात और क्या हो सकती है कि मेरी तुकबन्दियाँ आपको पसन्द आ रही हैं . यदि आप मन से कह रहे हैं तो मेरे लिए सन्तोष की बात है और यदि मेरा मन रखने के लिए कह रहे हैं तो यह स्नेह सदा बनाए रखिये.............
सादर
वाह वाह वाह !!!! एक एक बंद सच्चाई बयां कर रहा है, पढ़ कर मन आनंदित हो उठा. अलबेला भाई जी, हार्दिक बधाई स्वीकार करें.
आपका हार्दिक धन्यवाद आशीष यादव जी......
सौरभ पाण्डेय जी,
धन्य कर दिया आपने..........दिल खोल कर दाद दी.......
ख़ून बढ़ गया .........आभारी हूँ
मन मधुबन के भीतर सारे तीरथ हैं
काशी-वाशी , क़ाबा-वाबा बाबाजी..
वाह-वाह ! इस अंदाज़ को मेरा सलाम. आपकी शान को नज़्र -
अलबेला तो अलबेला है, कह देगा
हर हिस्से का हाबा-काबा बाबाजी.. .
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online