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(क्या ऐसे होते हैं-?)

(क्या ऐसे होते हैं-?)
 
क्या बाबा ऐसे होते हैं
जो लोगों को उकसाते हैं
मधुर बाणी से फँसाते हैं
और करोडो अरबों कमाते हैं
लोग तो भोले भाले हैं
बस झांसे में आ जाते हैं 
तन मन धन जब लुट जाता 
तब कहीं होश में आते हैं
धोखा देते जनता को यह 
नित नए स्वाँग रचाते हैं 
कोई भीमानंद कोई योगानंद
कोई निर्मल बाबा बन जाते हैं 
गाड़ियाँ,बँगले,कारें देखो
इस कुदरत के नज़ारे देखो 
भगवा चोला तिलक सिंधूरी
यह झूठे राम भक्त प्यारे देखो 
वाह रे मेरे भारतबासी
दूर न होगी तेरी उदासी 
लुटेरों के भी पांव तू छूता
तेरी अक्ल पे आवे हाँसी  
 
दीपक 'कुल्लुवी' 

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Comment by MAHIMA SHREE on June 8, 2012 at 10:53pm
भगवा चोला तिलक सिंधूरी
यह झूठे राम भक्त प्यारे देखो 
वाह रे मेरे भारतबासी
दूर न होगी तेरी उदासी 
लुटेरों के भी पांव तू छूता
तेरी अक्ल पे आवे हाँसी  

बहुत खूब ..बधाई आपको

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 8, 2012 at 1:13pm

अपने फन के वो , अपने फन  के आप माहिर हैं, 

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on June 8, 2012 at 9:31am

PRADEEP JI REKHA JI VAISE TO NIRMAL BABA DELHI MEN MERE PADOSI HI HAIN .......MAINE KABHI INKE PAON NAHIH CHHUYE AB SOCHTA HOON INKI DUKAN BAND HI HONE WALI HAI AB CHHOO LOON...SABKO BAKHSHNE KE LIYE........

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 7, 2012 at 8:15pm

बहुत सुन्दर , लुटरों के पैर छूते. वाह बधाई,

Comment by Rekha Joshi on June 7, 2012 at 5:56pm

खूब लूटा है इन बाबाओं ने हम भारतवासियों को ,सशक्त रचना पर बधाई 

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on June 7, 2012 at 4:07pm

SHUKRIYA BAGI JI &  ALBELA JI

Comment by Albela Khatri on June 7, 2012 at 4:00pm

क्या कहने दीपक शर्मा कुलुवी जी आपके........
बहुत ही मारक रचना कही आपने........

वाह रे मेरे भारतबासी
दूर न होगी तेरी उदासी 
लुटेरों के भी पांव तू छूता
तेरी अक्ल पे आवे हाँसी 
___________बधाई आपको

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 7, 2012 at 3:48pm

सुन्दर भाव हेतु बधाई |

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