For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मन मेरे
हिम्मत न हार
जय तेरी होगी|
निरंतर अग्रसर हो
कर्म के पथ पर,
प्रत्याशा के रथ पर
मिटा के अंतर्द्वंदों को
त्याग आलस्य को,
घातक नैराश्य को
तुझमें नैर्गुण्य नहीं,
तू बिलकुल शून्य नहीं
तुझमें भी क्षमता है
अपनी महत्ता है|
स्वयं की पहचान कर
खुद पर अभिमान कर,
शंखनाद कर दे
अस्तित्व के संग्राम का,
भय क्या परिणाम का
निर्भीकता शस्त्र है
मार्ग प्रशस्त है,
कल्पना के चित्र को
यथार्थ पर उकेर,
समय तेरे साथ है
निरर्थक है देर|

 

Views: 414

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on June 9, 2012 at 6:41am
आपका हार्दिक आभार महिमा जी...
Comment by MAHIMA SHREE on June 8, 2012 at 10:56pm

कुमार गौरव जी ... उर्जा का संचार करती रचना बधाई आपको

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on June 8, 2012 at 4:08pm
आदरणीय अरुण जी, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on June 8, 2012 at 4:05pm
आदरणीय कुशवाहा सर, आपका प्यार हमेशा मेरा उत्साहवर्धन करता है। धन्यवाद।
Comment by अरुण कान्त शुक्ला on June 8, 2012 at 2:15pm

अच्छी रचना .. बधाई .

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 8, 2012 at 1:01pm

प्रिय कुमार जी, सस्नेह 

प्रेरणा देती हुई रचना. उत्साह भर गया. बधाई.

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on June 7, 2012 at 10:56pm

जी बिलकुल सही कहा आपने खत्री जी| ओ बी ओ एक बेहद अच्छा मंच है अपनी प्रतिभा को निखारने का, और ये बिलकुल अपना सा लगता है|

Comment by Albela Khatri on June 7, 2012 at 10:50pm

भाई मेरे कुमार  गौरव अजितेंदु जी,

टेलीविज़न वाले तो  मुँह पर चूना पोत देते हैं
और कोल्हू के बैल  की भान्ति  जोत  देते हैं
यहाँ तो जैसे एक संयुक्त परिवार है
ओ बी ओ का  अपना सुसंस्कार है
बस प्यार ही प्यार है ...प्यार ही प्यार है
____इस प्यार का आनन्द लो ........मज़े करो.......जय हो !

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on June 7, 2012 at 10:40pm

आदरणीय अलबेला खत्री जी

मुझे तो विश्वास नहीं हो रहा कि इस मंच के माध्यम से मुझे आपसे मुलाकात हो गई|
आपको टेलीविजन पर देखता था, आपसे ऐसे बात करने का अवसर मिलेगा ये तो सोचा ही नहीं था|
बहुत अच्छा लगा आपकी प्रतिक्रिया से| आगे भी स्नेह बनाये रखियेगा|
Comment by Albela Khatri on June 7, 2012 at 9:54pm

वाह वाह कुमार गौरव  अजितेंदु  जी,
शानदार ओजस्वी कविता प्रस्तुत करने के लिए  अभिनन्दन

बधाई !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
11 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
23 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service