For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत: थिरक रही है... -- संजीव 'सलिल'

गीत:
थिरक रही है...
संजीव 'सलिल'
*
थिरक रही है,
मृदुल चाँदनी थिरक रही है...
*
बाधाओं की चट्टानों पर
शिलालेख अंकित प्रयास के.
नेह नर्मदा की धारा में,
लहर-भँवर प्रवहित हुलास के.
धुआँधार का घन-गर्जन रव,
सुन-सुन रेवा सिहर रही है.
मृदुल चाँदनी थिरक रही है...
*
मौन मौलश्री ध्यान लगाये,
आदम से इन्सान बनेगा.
धरती पर रहकर जीते जी,
खुद अपना भगवान गढ़ेगा.
जिजीविषा सांसों की अप्रतिम
आस-हास बन बिखर रही है.
मृदुल चाँदनी थिरक रही है...
*
अक्षर-अक्षर अंकित करता,
संकल्पों की नव चेतनता.
शब्द-शब्द से झंकृत होती,
भाव, शिल्प, लय की नूतनता.
पुरा-पुरातन चिर नवीन बन
आत्म वेदना निखर रही है
मृदुल चाँदनी थिरक रही है...
*

Views: 386

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Arun Sri on June 12, 2012 at 11:00am

वाह ! कितनी सुन्दर कविता ! महादेवी वर्मा का शब्द शिल्प याद आ गया ! जितना पढ़ो और पढ़ने का मन करता है !

बाधाओं की चट्टानों पर
शिलालेख अंकित प्रयास के.
नेह नर्मदा की धारा में,
लहर-भँवर प्रवहित हुलास के.
धुआँधार का घन-गर्जन रव,
सुन-सुन रेवा सिहर रही है.
मृदुल चाँदनी थिरक रही है...

सच ! इसे कहते है गुरु की गुरुता ! आनंद ही अनद !

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 11, 2012 at 11:57am

मौन मौलश्री ध्यान लगाये,
आदम से इन्सान बनेगा.
धरती पर रहकर जीते जी,
खुद अपना भगवान गढ़ेगा.
जिजीविषा सांसों की अप्रतिम 
आस-हास बन बिखर रही है.
मृदुल चाँदनी थिरक रही है.

सुन्दर भाव सुन्दर रचना हेतु बधाई, आदरणीय सलिल जी, सादर अभिवादन के साथ.

Comment by Er. Ambarish Srivastava on June 10, 2012 at 11:21am

गीत रचा अनमोल गुरूजी.

सरस मृदुल हैं बोल गुरूजी.

भाव शिल्प लय सब मन हरते,

रचा हृदय से तोल गुरूजी.

शब्द-शब्द से वीणा के सुर,

मातु कृपा ज्यों बरस रही है.

मृदुल चाँदनी थिरक रही है...

आदरणीय अलबेला जी से मैं भी सहमत हूँ |

सादर

Comment by Albela Khatri on June 10, 2012 at 10:59am

आपका आशीर्वाद  शिरोधार्य  सलिल जी.........
सादर  अभिवादन

Comment by sanjiv verma 'salil' on June 10, 2012 at 10:51am

छंद -छंद मनहर अलबेला,

घाट-बाट साँसों का मेला.

पण्डे-झण्डे, झगड़े-डण्डे,

रेलपेल औ' ठेलमठेला.

मिलन-विरह की कथा-कहानी

सिकता कण बन सिहर रही है.

मृदुल चाँदनी थिरक रही है...

आपकी गुणग्राहकता को नमन.

Comment by Albela Khatri on June 9, 2012 at 5:41pm


आदरणीय  संजीव सलिल जी,
आपका  यह अभिनव, अनुपम और अनूठा  गीत  एक बार नहीं, अनेकानेक  बार बांचा ...हर बार  आनंद में वृद्धि होती  गई . यों  प्रतीत हुआ मानो 
काव्य की देवी साक्षात्  दर्शन दे रही है और मैं  मंत्रमुग्ध सा  एकटक निहार रहा  हूँ .

यों लगा जैसे  काव्य-सृजन के  उस श्रेष्ठतम  काल में  पहुँच गया  जहाँ  पन्त, निराला, दिनकर, रंग, फ़िराक़, बच्चन और  द्विवेदी  जैसे  मनीषियों  की  सुगंध प्रसरी  है.
आपकी लेखनी के प्रति नतमस्तक मैं इस  गीत का  ख़ूब ख़ूब अभिनन्दन करता हूँ

बाधाओं की चट्टानों पर
शिलालेख अंकित प्रयास के.
नेह नर्मदा की धारा में,
लहर-भँवर प्रवहित हुलास के.
धुआँधार का घन-गर्जन रव,
सुन-सुन रेवा सिहर रही है.
मृदुल चाँदनी थिरक रही है...

_______________हम जैसे नौसिखियों के  लिए प्रेरणा का उजाला  उपलब्ध करने वाले इस गीत के  शब्द-सौन्दर्य  और सरस शिल्प मेरा को  शत शत नमन
जय हो !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service