न जाने किस सागर में कश्ती का ठिकाना हो जाये
किस बात पे चर्चे हों जाएँ ,फिर कैसा फ़साना हो जाये
Comment
bahut aabhaar aadarniya surya bhai
aapka protsaahan mila
uska bahut aabhar
नीलांश भाई बहुत सुंदर रचना आपने प्रस्तुत की है । क्षमा चाहूँगा पता नहीं कैसे इसको मैं पढ़ नहीं पाया। बहुत सुंदर लगी ये रचना। आपको बहुत बहुत बधाई॥
bahut aabhaar aadarniya pradeep ji
सुन्दर भाव, बधाई आदरणीय नीलांश जी, सादर
aapke sneh ka bahut aabhaari hoon aadarniya ram krishna ji
बहुत अच्छी कविता है !
bahut aabhar yogesh ji
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