For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ट्रेन तकरीबन आधी रात के समय स्टेशन पर पहुंची, राजीव एक हाथ में सूटकेस संभालते पत्नी निधि को साथ लेकर जल्दी से ट्रेन से उतरा, अमूमन चहल पहल वाले इस स्टेशन पर सन्नाटा पसरा था, वहां केवल तीन चार ऑटो रिक्शा वाले ही मौजूद थे किन्तु उनमे भी सवारी बैठाने की कोई चिल्ल पौं न थी | राजीव ने बारी बारी सभी से कृष्णा कालोनी चलने को कहा, लेकिन कोई जाने को तैयार ही नहीं हुआ, तो उसने पूछा,

"आखिर बात क्या हैं, क्यों नहीं जाना चाहते ?"
"शहर के हालत अच्छे नहीं है बाबूजी, आज कुछ असामाजिक तत्वों ने काफी हंगामा किया है कई टैक्सी, बस, ऑटो, बिजली ट्रांसफार्मर और सरकारी कार्यालयों में आग लगा दी है."
बहुत समझाने बुझाने पर एक ऑटो वाला कालोनी से एक किलोमीटर पहले मुख्य सड़क तक जाने को तैयार हुआ | पूरा शहर अँधेरे में डूबा था, मुख्य सड़क पर उतर कर वे दोनों पैदल ही कालोनी की तरफ बढ़े, निधि को डरा हुआ देखकर राजीव ने उसको हौसला देते हुए कहा,
"डरो मत, हम लोग दूसरे चौक से  होकर चलते हैं, वहां से नज़दीक भी पड़ेगा"
"नहीं नहीं हम लोग गली से चलते है"
"निधि तुम समझ नहीं रही हो, इस गली से जाने में डर है, चौक पर हमेशा पुलिस वाले मौजूद रहते हैं, इसलिए उधर से जाना ही ठीक होगा |" 

"उधर पुलिस वाले रहते है, तभी तो कह रही हूँ कि इस गली से चलों |"

  • गणेश जी "बागी"

Views: 1042

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Kiran Arya on September 22, 2012 at 7:28pm

गणेश जी ये खौफ हर दिल में बस गया है कहीं ना कहीं जिन्हें हमारा रक्षक कहा जाता है वो भक्षक बनने में जरा सा समय नहीं लगते है.........आपकी हर कथा अपनी बात बहुत ख़ूबसूरती से कहती है.......


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 20, 2012 at 11:14pm

आदरणीय भ्रमर जी, आपका कथन बिलकुल सत्य है, पुलिस की छवि आज तक आम जन में सामान्य नहीं हो पायी है, सराहना और उत्साहवर्धन हेतु बहुत बहुत आभार आपका |

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 2, 2012 at 11:22pm

आदरणीय बागी जी बहुत सुन्दर और सटीक ..आज के हालात और हमारा विश्वास हमारी सुरक्षा व्यवस्था पर ऐसे ही प्रश्न खड़े करता है ये है अपना कानून और उसके रखवाले ...न जाने कब ये लोगों के दिलों में पैठ बना सकेंगे .....सच में कानून को प्यार मिले कानून लागू हो लोग एक विश्वास कायम कर सकें तो आनंद और आये  .........

सुन्दर कटाक्ष और प्रहार 
भ्रमर ५ 

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 2, 2012 at 8:25pm

आभार आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 1, 2012 at 2:12pm

आदरणीय श्री अरुण अभिनव जी, मैं आपकी बातों से सहमत हूँ , सराहना हेतु बहुत बहुत आभार |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 1, 2012 at 2:06pm

आदरणीय डॉ साहब, लेखक जो महसूस करता है वो ही लिखता है, किसी भी दृश्य को कई कोण से देखा जा सकता है |

//कभी हम अपने अंदर भी झाँककर तो देखें हम क्या कभी पुलिस की मदद करते हैं ....एक गवाही देनी पड़े तो बड़े बड़े बीमार पड़ जाते है...//

सोचने वाली बात है कि आखिर हम पुलिस को क्यों मदद नहीं करते ?? इस प्रश्न में ही उत्तर छुपा हुआ है, शायद इसका उत्तर है "खौफ"

प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार |

Comment by Abhinav Arun on July 1, 2012 at 2:05pm

यह कटु सत्य है | जिसे रहनुमा होना चाहिए था वही लूटने की ताक में बैठा मिलता है | यह महकमा खुद के गिरेबान में झांके तब ही स्थिति संभल सकती है | हार्दिक साधुवाद इस सशक्त रचना पर आदरणीय श्री बागी जी !!


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 1, 2012 at 2:01pm

आदरणीय अलबेला भाई साहब, आपकी टिप्पणी मेरे लिए मायने रखती है , आपको लघु कथा पसंद आई, लेखन सफल हुआ , आभार आपका |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 1, 2012 at 1:59pm

बागडे साहब, उत्साहवर्धन हेतु धन्यवाद |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 1, 2012 at 1:58pm

आशीष भाई, सराहना हेतु आभार,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service