(सर चकराए)
राधे माँ के लटके झटके
नित्यानंद के देखो नखरे
निर्मल बाबा के अजीब उपाय
देख के भईया सर चकराए
बाबाओं की गजब कमाई
अपार दौलत शोहरत पायी
गरीब तलाशता गोबर में दाना
बाबाओं नें लुटिया डुबाई
साधू नहीं यह स्वादु हैं
भोली जनता इनकी बाजू हैं
मृदुवाणी से बस में करते है
और झोलियाँ अपनी भरते हैं
कोई तन लूटे कोई मन लूटे
सब धन लूटे चुपचाप
उनकी चिकनी चुपड़ी बातों से
हो रहे हम बर्वाद
यह बाबा फसल बटेरे हैं
अधिक्तर यह तो लुटेरे हैं
आलिशान बँगले,महँगी गाड़ियाँ
फाईवस्टार इनके डेरे हैं
ओ-मेरे भारतवासियों सुनो
इन चेले चपाटों से दूर रहो
अपने बाजूओं के दम पे जिओ
आँख मूँद के न विश्वास करो
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श्री राम चन्द्र कह गए सिया से
ऐसा कलयुग आएगा........
हँस चुगेगा दाना दुनका का
कौवा मोती खाएगा........
मित्रो वह कलयुग,घोर कलयुग,महाघोर कलयुग आ चुका है संभल जाओ..........वर्ना बर्वादी दूर नहीं...मध्य प्रदेश में बच्चे गोबर से अपना भोजन तलाशने को मजबूर है वहीँ दूसरी तरफ इन बाबाओं के ऐश -ओ-आराम आपके सामने ही है I
दीपक 'कुल्लुवी'
13 जून 2012
Comment
दीपक जी सादर नमस्कार ! आज के धर्मभीरु समाज में जहां परेशानियों का निराकरन मेहनत और सूझबूझ से न करके शॉट कट रास्ते से किया जाता है तो वहाँ बाबाओं की ही तो दूकान चलेगी.....अच्छा तंज़ किया है आपने इस रचना के माध्यम से। धन्यवाद !
nanga sach kahne ke liye aapko laakh laakh abhinandan
bahut khoob..........waah !
आदरणीय दीपक बाबा
कर जोर करता प्रणाम
हिस्से में क्या गडबड हो गयी
काहे करते है बाबा को बदनाम
धंधा सब का एक सामान
नेता हों या व्यापारी
करते हैं यही काम
बधाई
कोई बाबा निर्मल नहीं
सब मन के बड़े मैले हैं ,
दौलत के ढेर पर बैठे
ये ठग बड़े लुटेरे हैं , चलिए आपसे कन्फर्म हो गया | बधाई |
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