For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(सर चकराए)

राधे माँ के लटके झटके
नित्यानंद के देखो नखरे
निर्मल बाबा के अजीब उपाय
देख के भईया सर चकराए
बाबाओं की गजब कमाई
अपार दौलत शोहरत पायी
गरीब तलाशता गोबर में दाना
बाबाओं नें लुटिया डुबाई
साधू नहीं यह स्वादु हैं
भोली जनता इनकी बाजू हैं
मृदुवाणी से बस में करते है
और झोलियाँ अपनी भरते हैं
कोई तन लूटे कोई मन लूटे
सब धन लूटे चुपचाप
उनकी चिकनी चुपड़ी बातों से
हो रहे हम बर्वाद
यह बाबा फसल बटेरे हैं
अधिक्तर यह तो लुटेरे हैं
आलिशान बँगले,महँगी गाड़ियाँ
फाईवस्टार इनके डेरे हैं
ओ-मेरे भारतवासियों सुनो
इन चेले चपाटों से दूर रहो
अपने बाजूओं के दम पे जिओ
आँख मूँद के न विश्वास करो
----------


चेतावनी


श्री राम चन्द्र कह गए सिया से
ऐसा कलयुग आएगा........
हँस चुगेगा दाना दुनका का
कौवा मोती खाएगा........

मित्रो वह कलयुग,घोर कलयुग,महाघोर कलयुग आ चुका है संभल जाओ..........वर्ना बर्वादी दूर नहीं...मध्य प्रदेश में बच्चे गोबर से अपना भोजन तलाशने को मजबूर है वहीँ दूसरी तरफ इन बाबाओं के ऐश -ओ-आराम आपके सामने ही है I

दीपक 'कुल्लुवी'
13 जून 2012

Views: 476

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 14, 2012 at 5:09pm

दीपक जी सादर नमस्कार ! आज के धर्मभीरु समाज में जहां परेशानियों का निराकरन मेहनत और सूझबूझ से न करके शॉट कट रास्ते से किया जाता है तो वहाँ बाबाओं की ही तो दूकान चलेगी.....अच्छा तंज़ किया है आपने इस रचना के माध्यम से। धन्यवाद !

Comment by Albela Khatri on June 14, 2012 at 1:10pm

nanga sach kahne ke liye  aapko laakh laakh abhinandan

bahut khoob..........waah !

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 14, 2012 at 11:25am

आदरणीय दीपक बाबा 

कर जोर  करता प्रणाम

हिस्से में क्या गडबड हो गयी

काहे  करते  है बाबा को बदनाम

धंधा सब का एक सामान 

नेता हों या  व्यापारी  

करते हैं यही काम 

बधाई 

Comment by अरुण कान्त शुक्ला on June 14, 2012 at 12:03am

कोई बाबा निर्मल नहीं

सब मन के बड़े मैले हैं ,

दौलत के ढेर पर बैठे

ये ठग बड़े लुटेरे हैं , चलिए आपसे कन्फर्म हो गया | बधाई |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
17 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
18 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
18 hours ago
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
18 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
20 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service