हो जाते है जब एकदम अकेले
हम अपनों की भीड़ में
तब जब दिल चाहता है कहना
किसी से बहुत कुछ
तब कोई नहीं मिलता ऐसा
जो साथ बैठकर सुने इस दिल की बाते
और कहे कि मैं हूँ न .........................
तब जब महसूस होता है
कि कोई नहीं है इस दुनिया में हमारा
तब एकदम से अचानक ...................
आ जाते है शब्द
और करने लगते हैं मुझसे बाते
तब जब दिल चाहता है जी भरकर रोना
लेकिन आंसू भी साथ देने से मना कर देते हैं
तब ये शब्द रोते है मेरे साथ ...
बहते हैं आंसू बनकर कागज पर
स्याही का रूप लेकर .......................
जब देखते हैं ये शब्द हमे अकेले चुपचाप बैठे
तो आ जाते हैं बिन बुलाये ही ........
कह नहीं पाते जो बाते किसी से अक्सर
वो बाते सुनने............................
शब्द जो खुशी में मेरी खुश होते हैं
शब्द जो मेरे अपने है ................
शब्द जो हर पल मेरे साथ रहते हैं
चाहे गम हो या ख़ुशी
शब्द जो मेरे गम को देखकर
मुझसे दूर नहीं भागते ...............
ये शब्द जो मेरे अपने हैं
मेरे शब्द ..................मेरे अपने ...............!!
Comment
जब सैकड़ों की भीड़ में भी हम मन से अकेले हो जाते हैं तब
इस मन से ही शब्द फूट पड़ते हैं और हम खुद से ही बात कर लेते हैं
तब तनहा मन के शब्द आसुओं के रूप में निकलने लगते हैं
बहुत बढिया रचना
सम्मान्य सोनम सैनी जी,
वाह........क्या बात है
तब जब दिल चाहता है जी भरकर रोना
लेकिन आंसू भी साथ देने से मना कर देते हैं
तब ये शब्द रोते है मेरे साथ ...
बहते हैं आंसू बनकर कागज पर
स्याही का रूप लेकर .......................
अन्तर्व्यथा का बहुत सही और सटीक वर्णन तो किया ही, आपने शब्दों का चयन भी बहुत सुन्दर किया है
___अभिनन्दन !
तब जब महसूस होता है
कि कोई नहीं है इस दुनिया में हमारा
तब एकदम से अचानक ...................
आ जाते है शब्द
और करने लगते हैं मुझसे बाते
तब जब दिल चाहता है जी भरकर रोना
लेकिन आंसू भी साथ देने से मना कर देते हैं
तब ये शब्द रोते है मेरे साथ ...
बहते हैं आंसू बनकर कागज पर
स्याही का रूप लेकर .......................
बहुत सुन्दर आदरणीयसोनम जी अति सुन्दर रचना .बधाई हो .कवि की पीर बयां कर दी सब्दों में सजाकर
शब्द जो मेरे अपने है ................
शब्द जो हर पल मेरे साथ रहते हैं
चाहे गम हो या ख़ुशी
शब्द जो मेरे गम को देखकर
मुझसे दूर नहीं भागते ...............
ये शब्द जो मेरे अपने हैं
मेरे शब्द ..................मेरे अपने ...............!!
प्रिय सोनम, सस्नेह
निःशब्द. बधाई.
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