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ये सुन्दर - सुन्दर बालायें बाबाजी

तुम भी खाओ, हम भी खायें बाबाजी
आओ,  मिल कर देश चबायें बाबाजी

राजनीति में किसी तरह घुस जाएँ तो
जीवन भर आनन्द मनायें  बाबाजी

चोर - चोर मौसेरे भाई हैं तो फिर
इक दूजे के काम में आयें बाबाजी

क्लब में चाहे मुन्नी को बदनाम करें
मंच पे जन गण मन ही गायें बाबाजी

सबकुछ  खोया, तब फिल्मों में आई हैं
ये सुन्दर - सुन्दर बालायें बाबाजी

घर से ज़्यादा तपन है बाहर सड़कों पर
कहाँ पे जा कर राहत पायें बाबाजी

पेट की खातिर दिन भर दौड़े 'अलबेला'
जी करता है, अब सो जायें बाबाजी

JAI HIND !

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Comment by Albela Khatri on June 27, 2012 at 9:41pm


बहुत बहुत शुक्रिया  राज़ जी.......
धन्यवाद

Comment by राज़ नवादवी on June 27, 2012 at 9:35pm

तुम भी खाओ, हम भी खायें बाबाजी 
आओ,  मिल कर देश चबायें बाबाजी 

तंज और मिजाह के गुदगुदा देनेवाले जुमले. बहुत अच्छे!

- राज़ 

Comment by Albela Khatri on June 16, 2012 at 10:40pm

आदरणीय  उमाशंकर मिश्रा जी..........
एक ज़माना था  जब बिहारी जैसे कवि को एक एक दोहे की रचना के लिए राजा द्वारा  सोने की मुहरें  इनाम में मिलती थीं....कुछ वैसा ही मुझे  यहाँ लग रहा है जब हर  रचना पर आप इस प्रकार उन्मुक्त सराहना देते हो..........आप धन्य हो..आपका प्यार धन्य है जी.........

आपकी कविता ने  ख़ूब प्रभावित किया ...मैंने कहा झंडे गाड़ दिए जी........
___सादर  साभार

Comment by UMASHANKER MISHRA on June 16, 2012 at 10:30pm

सादर समर्पित...आदरणीय
आप कहें या हम एक ही बोली है
आप प्यार से दो हमारी गोली है

देश चबाये कहो दो इनको देशभक्षी
इनसे पीछे हो गए हैं देखो नरभक्षी

ये दीमक की तरह यहाँ घुस आते है
देश सेवा के नाम में वेतन पाते  हैं

बाहर झगड़ा झंझट ये दिखलाते हैं
फायदा हो इनका तो एक हो जाते हैं

भोर जन गण बजे या बजे वंदे मातरम
रात को ना जाने क्या क्या..... चबाते हैं

आपकी बहेतरीन रचना को दंडवत हमेशा की  तरह
बहेतरीन अलबेली प्रस्तुति के लिए  बधाई हो प्रिय अलबेला जी

Comment by Albela Khatri on June 16, 2012 at 4:02pm

धन्यवाद  डॉ प्राची सिंह जी......


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 16, 2012 at 3:49pm

waah waah kya baat hai..

Comment by Albela Khatri on June 16, 2012 at 2:31pm

आदरणीय प्रदीप जी,  आप जैसे वरिष्ठ जनों का  स्नेह और आशीर्वाद मेरी  सबसे बड़ी पूंजी है . आपके  मन को मेरी कोई  रचना भा गई, इससे बड़ी बात मेरे लिए और क्या हो सकती है
___आपका धन्यवाद !

Comment by Albela Khatri on June 16, 2012 at 2:27pm

आभार....कुमार गौरव अजीतेंदु जी.........

Comment by Albela Khatri on June 16, 2012 at 2:26pm

धन्यवाद राजेश कुमारी जी,
बाबाजी को आपकी दाद बहुत पसन्द आई.....
_____साभार

Comment by Albela Khatri on June 16, 2012 at 2:24pm

धन्यवाद  नीलांश जी........

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