इस दुनिया में कौन सुखी है बाबाजी
जिसको देखो, वही दु:खी है बाबाजी
तुम तो केवल चखना लेकर आ जाओ
बोतल हमने खोल रखी है बाबाजी
इसकी चन्द्रमुखी है, उसकी सूर्यमुखी
मेरी ही क्यों ज्वालमुखी है बाबाजी
रिश्वत की मदिरा फिर उससे न छूटी
जिसने भी इक बार चखी है बाबाजी
बाप से बढ़ कर कौन सखा हो सकता है
माँ से बढ़ कर कौन सखी है बाबाजी
काम अपना जी जान से करने वालों ने
अपनी किस्मत आप लिखी है बाबाजी
पथ के काँटे क्या कर लेंगे 'अलबेला'
मैंने चप्पल पहन रखी है बाबाजी
JAI HIND !
Comment
इसकी चन्द्रमुखी है, उसकी सूर्यमुखी
मेरी ही क्यों ज्वालमुखी है बाबाजी
आदरणीय अलबेला खत्री जी, सादर
अपना भी हाल तेरे जैसा है ....? बधाई बाबा जी
काम अपना जी जान से करने वालों ने
अपनी किस्मत आप लिखी है बाबाजी
पथ के काँटे क्या कर लेंगे 'अलबेला'
मैंने चप्पल पहन रखी है बाबाजी
aadarniya albela ji
bahut sunder lagi aapki ye ghazal bhi
धन्यवाद योगेश जी.........
बहुत बहुत आभार
बाप से बढ़ कर कौन सखा हो सकता है
माँ से बढ़ कर कौन सखी है बाबाजी
बहुत सुन्दर आदरणीय अलबेला जी
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