बांहें दी पसार मैंने,
कर दी पुकार मैंने,
आओ आओ आओ मेरे गले लग जाइए
दामिनी सी चंचल मैं,
फूल जैसी कोमल मैं,
मेरी ओजस्वी आँखों से आँख तो मिलाइए
आज किलकारी हूँ मैं,
कल फुलवारी हूँ मैं,
भारत की नारी हूँ मैं, मेरे पास आइये
वंश को बढ़ाना हो तो,
देश को बचाना हो तो,
भ्रूणहत्या रोक कर, बेटी को बचाइये
___जय हिन्द !
Comment
धन्यवाद योगी सारस्वत जी
सादर
वंश को बढ़ाना हो तो,
देश को बचाना हो तो,
भ्रूणहत्या रोक कर, बेटी को बचाइये
sundar sandesh deti rachna , albela ji badhai
धन्यवाद रेखा जी
_____आभार
बेटी के लिए इस अप्रतिम छंद रचना के लिए हार्दिक बधाई अलबेला जी
धन्यवाद रेखा जी
_____आभार
अलबेला जी ,वाह क्या लिखा है आपने ,बहुत खूब
बहुत बहुत आभार प्रदीप जी.....
वंश को बढ़ाना हो तो,
देश को बचाना हो तो,
भ्रूणहत्या रोक कर, बेटी को बचाइये
आवाज दो तुम कहाँ हो
पुकारता सिपाही हिंद का
नारी करे नारी का अपमान
हत्या करती अपने अंश का
कैसे बढ़ेगा तुम्हरा वंश
बेटी झेल रही सर्प दश
बधाई आपको अलबेला
जागृति का मन्त्र ठेला
सम्मान्य भाई सुरेन्द्र कुमार भ्रमर जी,
इस समाज को जगाना मतलब फ़ोकट टाइम खपाना.....हा हा हा हा .....ये जागा हुआ ही है, सोने का नाटक कर रहा है...और जो नाटक कर रहा है उसे कोई क्या जगा लेगा ?
यहाँ हर आदमी बुद्धिमान है ऐसा वो ख़ुद समझता है और स्टाम्प पर लिख कर भी दे सकता है कि वह तो पैदायशी चतुर सुजान है, इसके बावजूद मूर्खतापूर्ण हरकतें करता है तो कोई क्या समझाए !
बहरहाल आपने सराहना करके मे३रि रचना का मान बढ़ाया और मेरा उत्साह...इसके लिए आपको कोटि कोटि धन्यवाद !
धन्यवाद "सूरज" जी......
आभार !
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online