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जब जब बेटी के ससुराल से फोन आता तो भार्गव जी अन्दर तक काँप उठते. दरअसल शादी के एकदम बाद दामाद ने नई कार देने की मांग रख दी थी. उसी वजह से कई बार बिटिया मायके आ भी चुकी थी. मामूली सी पेंशन पाने वाले भार्गव जी हर बार बिटिया को समझा बुझा कर वापिस भेज देते. लेकिन इस बार ससुराल का इतना दबाव था कि बिटिया समझाने पर भी नहीं मान रही थी और ज़िद पकड़ कर बैठ गई थी. भार्गव जी को समझ नहीं आ रहा था कि वे करें तो क्या करें.

आखिर एक दिन
अचानक दामाद के लिए नई कार आ ही गई, और बेटी अगले रोज़ अपने पति के साथ नई गाड़ी में ख़ुशी ख़ुशी विदा हो गई. भार्गव जी के मन से एक भारी बोझ उतरा, लेकिन उनकी पत्नी ऐसी अनुचित मांग को पूरा करने पर बेहद नाराज़ थी.

"आज तो आपने इनकी मांग पूरी कर दी, लेकिन कल इन्होने कोई और महंगी चीज़ मांग ली तब आप क्या करोगे ?"
"चिंता काहे करती हो भगवान्, अभी तो एक और किडनी मौजूद है मेरे शरीर में."

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प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 25, 2012 at 2:52pm

लघुकथा पसंद करने और आपकी बहुमूल्य टिप्पणी के लिए के लिए आपका बहुत बहुत आभार अरुण पाण्डेय भाई जी.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 25, 2012 at 2:51pm

लघुकथा पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद रेखा जोशी जी. .


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 25, 2012 at 2:49pm

भाई आशीष यादव जी, लघुकथा पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 25, 2012 at 2:48pm

आदरणीय अरुण कुमार निगम जी, लघुकथा पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 25, 2012 at 2:47pm

आदरणीय भ्रमर जी, सच में आपने लघुकथा के मर्म को पहचान कर बात की है. मैं दिल से आपका शुक्रिया अदा करता हूँ मान्यवर.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 25, 2012 at 2:45pm

लघुकथा पसंद करने के लिए दिल से आपका शुक्रिया अदा करता हूँ योगी सारस्वत जी.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 25, 2012 at 2:45pm

लघुकथा पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद अलबेला भाई जी.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 25, 2012 at 2:44pm

लघुकथा पसंद करने के लिए सादर धन्यवाद डॉ बाली साहिब.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 25, 2012 at 2:42pm

लघुकथा पसंद करने के लिए सादर धन्यवाद आद लड़ीवाला जी.  


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 25, 2012 at 2:42pm

लघुकथा पसंद करने के लिए ह्रदय से आभार संदीप भाई.

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