For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यह शादी बे मेल हो गई बाबाजी

कितनी महंगी रेल हो गई बाबाजी
पैसेन्जर भी मेल हो गई बाबाजी

आदर्शों को फांसी  दे दी दिल्ली ने
नैतिकता  को जेल हो गई बाबाजी

सुख के बादल बिखर गये हैं बिन बरसे
दुःख की धक्कमपेल हो गई बाबाजी

नकल हो रही पास आज विद्यालय में
और पढ़ाई फेल हो गई बाबाजी

आई पी एल की हाट में हमने देखा है
खिलाड़ियों  की सेल हो गई बाबाजी

खादी वाले खड़े - खड़े खा जाते हैं
भोली जनता भेल हो गई बाबाजी

लोकराज ने लज्जा का परित्याग किया
यह शादी बे मेल हो गई बाबाजी

'अलबेला' की दोनों आँखों से देखो
राजनीति विषबेल हो गई बाबाजी

Views: 1024

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 26, 2012 at 10:02am

’उठ-जागो’ की वेला में शुभ स्वागत है
मिलजुल अब हो हाथ-मिलाई बाबाजी.. .

Comment by Albela Khatri on June 26, 2012 at 9:16am

जय हो अम्बरीश जी की
शुभप्रभात प्रभु !

 

Comment by Er. Ambarish Srivastava on June 26, 2012 at 9:13am

बहुत बधाई मेरे भाई लगे रहें,

बाबाजी की सेल हो गयी बाबाजी   :-)

Comment by Albela Khatri on June 26, 2012 at 9:13am

आदरणीय "सूरज" जी
शुभ प्रभात
आपकी सराहना से  बड़ा बल मिलता रहा है..........आज भी मिला
__स्नेह बनाए रखिये

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 26, 2012 at 8:45am

अलबेला जी सादर नमस्कार ! भाई अभी बाबाजी रदीफ़ में अभी तक की सबसे उत्कृष्ट रचना ! मज़ा आ गया पढ़ के। आपको बहुत बहुत मुबारकबाद!

Comment by Albela Khatri on June 26, 2012 at 8:19am

शुभप्रभात  सौरभ जी......
इरादे खतरनाक लगते हैं आपके.......मैं तो  सो गया और आप  रात भर पिटाई का षड़यंत्र करते रहे.....हा हा हा ....अच्छा ही हुआ  जो मैं सो गया .....

___आपका दिन शुभ हो प्रभु !

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 26, 2012 at 12:49am

भाई, ’ऐसे की’ के कारण ऐब हुआ

खीर नहीं अब ’पीठ-पिटाई’ बाबाजी .. .   हा हा हा ... :-))))))))

सादर

(सर, बुरा न मानियेगा.. मैं बहुत कुछ नहीं जानता हूँ..)

Comment by Albela Khatri on June 26, 2012 at 12:32am

कान खिंचाई  प्रभु आपने ऐसे की
जैसे मीठी  खीर खिलाई बाबाजी
___हा हा हा ...हो हो हो हो


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 26, 2012 at 12:15am

तौबा-तौबा साहब, ये भी  बोले क्या
हम क्यों कर दें कान खिंचाई बाबाजी ??

सादर

 

Comment by Albela Khatri on June 26, 2012 at 12:09am

सिहर नहीं, शरमा गये हम तो सौरभ जी
आपने कर दी कान खिंचाई बाबाजी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service