सोचने लगती हूँ तो लगता है जैसे कल की ही बात है, बारहवीं के पेपर देकर फ्री हुई तो खूब मस्ती हो रही थी | एक दिन मम्मी ने कहा “चल हेमा अजित भैया के घर चलते हैं, भाभी का फ़ोन आया था भैया कई दिनों से ऑफिस नहीं गए उनकी तबियत ठीक नहीं है | मैंने कहा चलो चलते हैं | मामाजी के यहाँ मुझे हमेशा अच्छा लगता था, बस उनकी एक ही आदत शराब पीने वाली मुझे अच्छी नहीं लगती थी | मैंने मम्मी से पूछा कि मामाजी क्या अब भी शराब पीते हैं |मम्मी ने कहा नही अभी छ: महीने पहले जब भैया दूज में भाभी बता रही थी कि जब से डॉक्टर ने उन्हें शराब पीने को मना किया है उन्होंने शराब को छुआ तक नहीं | मैंने कहा यह तो बहुत अच्छी बात है चलो उनसे मिलकर अच्छा लगेगा |
जब हम मामाजी के यहाँ पहुचें तो वहां का नजारा देखकर मुझे घोर आश्चर्य हुआ | मामा जी बिस्तर में बेहोश पड़े थे, उनके बिस्तर के नीचे शराब की बोतलें पड़ी थी | मैंने आखों ही आखों में मम्मी से पूछा, "मम्मी ये क्या है ?" मम्मी भी आश्चर्यचकित कभी उन बोतलों को कभी मुझे देख रही थी | मामी जी से मम्मी ने पूछा, "भाभी ये सब क्या है ?"
मामी बस नजरे चुरा गई और चाय नाश्ता लाने के बहाने वहां से हट गई | घर में राकेश भैया भी नजर नहीं आ रहे थे | मामा जी के दो बेटियां और एक बेटा राकेश है | दोनों बेटियों की शादी हो चुकी है और राकेश दसवीं में चार बार फेल होकर आजकल बेकार घूम रहा है, पर कहने को बेटा है, खेवनहार है|
मेरा तो जी अजीब सा हो गया जैसे ही मामी जी अन्दर चाय लेने गई मैंने मम्मी से कहा, "मम्मी अब चलो यहाँ से यही सब देखना था क्या? मामी जी भी कितनी शर्मिंदा सी लग रही हैं | अब तो मामा जी की मदद भगवान भी नही कर सकते | मम्मी और मै किसी तरह चाय गटक कर वहां से निकले |
छुट्टियों में अपनी गणित अच्छी कर लूँ यह सोचकर अगले दिन मै बाजार गई | वहां किताबों की दुकान में नवीन मिल गया, नवीन मामा जी का पडोसी और मेरा क्लास मेट है | मैंने कहा," नवीन क्या बात है छुट्टियों में भी किताब की दुकान पर| "
नवीन बोला,"हाँ, मनोरमा इयर बुक लेने आया था |"
नवीन बोला,"तुम्हे मालूम है तुम्हारे मामा जी की तबियत बहुत ख़राब है|"
मैंने कहा,"हाँ मालूम है, कल ही मम्मी और मै मामा जी को देखने गये थे | लगता नहीं वो बचेगें, बीमारी में भी अपनी आदत से बाज नहीं आ रहे हैं |"
नवीन बोला," शायद तुम्हे सच्चाई नहीं मालूम तभी तुम ऐसे बोल रही हो | सोचो एक बीमार आदमी जो बिस्तर से उठ नहीं सकता वो शराब की दुकान से शराब कैसे ला सकता है |"
मैंने कहा फिर सच्चाई क्या है, और जो कुछ नवीन ने बताया उसे सुनकर मै स्तब्ध रह गई |
नवीन बोला," ये सब कम तो राकेश कर रहा है"
मैंने कहा,"क्यों? वो क्यों अपने पापा के साथ ऐसा कर रहा है?" क्यों अपने हाथों में अपने पापा को जहर दे रहा है?"
नवीन बोला," तुम्हे मालूम है, तुम्हारे मामा जी चार महीने बाद रिटायर होने वाले हैं और अगर वो रिटायर होने से पहले मर गये तो राकेश को उनकी जगह मृतक आश्रित नौकरी मिल जाएगी, इसलिए राकेश यह सब कर रहा है और यह सब तुम्हारी मामी को भी मालूम है|"
यह सुनकर मेरे तो पावँ तले जमीन ही खिसक गई | मैंने कहा,"तुम्हे यह सब कैसे मालूम ?"
नवीन ने कहा,"आजकल राकेश के पास कुछ काम धाम तो है नहीं, वो अपने दोस्तों से पैसे उधार ले रहा है कि छ: महीने के अन्दर अन्दर वो सबको दुगने पैसे वापस कर देगा क्योंकि उसे अपने पापा की जगह नौकरी मिल जाएगी | उन पैसों से वह शराब ला लाकर अपने पापा को पिला रहा है | सुबह से शाम तक शराब, पानी की जगह भी शराब |"
इतना सुनकर मेरे कानों ने और कुछ सुनना बंद कर दिया, दिमाग में तूफान उठने लगा, किसी तरह मै घर पहुंची | घर पहुँच कर मै मम्मी को यह बात बताने की हिम्मत जुटा ही रही थी की शाम को मामा जी के देहांत की खबर आ गई, जिसे सब मामा जी की मौत समझ रहे थे वो मामा जी की हत्या थी, ये बात जानते हुए भी मै किसी से कुछ नहीं कह सकी | अब कहकर क्या होना था मामा जी तो जा ही चुके थे|
राकेश भैया को मामा जी की जगह नौकरी मिल गई, पर मै राकेश भैया और मामी जी को माफ नहीं कर सकी |
Comment
विश्वास नहीं होता कोई पत्नी ऐसा अपने पति के साथ कर सकती है परन्तु आज के वक़्त में कुछ भी हो सकता है पुत्र का अँधा प्रेम ऐसी स्त्रियों से कुछ भी करवा सकता है कहानी पढ़ते पढ़ते मैं भी संज्ञा शून्य सी हो गई ,आँखे खोलती और समाज के एक घ्रणित चेहरे को दिखाती हुई उत्कृष्ट कहानी के लिए सावी जी बधाई
उफ़ !
क्या कहानी है
कहानी क्या है दर्पण है
वाह वाह सवी जी बहुत ख़ूब !
नवीन बोला," तुम्हे मालूम है, तुम्हारे मामाजी चार महीने बाद रिटायर होने वाले हैं और अगर वो रिटायर होने से पहले मर गये तो राकेश को उनकी जगह मृतक आश्रित नौकरी मिल जाएगी, इसलिए राकेश यह सब कर रहा है और यह सब तुम्हारी मामी को भी मालूम है|"
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