For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तू अगर दूर जाकर, हमसे बेखबर है..

तो हम भी खुश रहेंगे, ये तेवर है..०० 
.
मांगी एक दुआ, तो तू मिल गई..
बने एक दुनिया जो पल में उजड़ गई.
सुने पन अब जो मंजर है..
तो हम भी खुश रहेंगे, ये तेवर है..०१ 
.
दर्द का क्या वो सहा भी बहुत..
अशुओ क सहारे वो बहा भी बहुत..
पूरी करले जो बाकि कसर है ..
तो हम भी खुश रहेंगे, ये तेवर है..०२ 
याद न आई, या मुझे भुला दिया..
मौत की आगोश में, जो मुझे सुला दिया..
जुदाई का दर्द जो समो सहर है..
तो हम भी खुश रहेंगे, ये तेवर है..०३  
.
अरमानो की चिता अब तिल-२ जल रही..
खुसिया भी अब इन हाथो से फिसल रही..
जिंदगी तेरे बिना, एक काँटों का घर है..
हमफिर भी खुश रहेंगे, ये तेवर है..०४ 
.
तू अगर दूर जाकर, हमसे बेखबर है..
हम भी खुश रहेंगे, ये तेवर है..०० 

Views: 526

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pradeep Kumar Kesarwani on July 2, 2012 at 12:38pm

आदरणीय रेखा जी, सुक्रिया आपका ..

Comment by Rekha Joshi on July 2, 2012 at 12:33pm

प्रदीप जी 

दर्द का क्या वो सहा भी बहुत..
अशुओ क सहारे वो बहा भी बहुत..
पूरी करले जो बाकि कसर है ..
तो हम भी खुश रहेंगे, ये तेवर है.,सुंदर भाव ,लिखते रहो 
Comment by Pradeep Kumar Kesarwani on July 2, 2012 at 12:08pm

आदरणीय श्री सुरेन्द्र कुमार शुक्ल जी, हृदय से आपको धन्यवाद् ....

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 1, 2012 at 11:04pm

याद न आई, या मुझे भुला दिया..

मौत की आगोश में, जो मुझे सुला दिया..
जुदाई का दर्द जो समो सहर है..
तो हम भी खुश रहेंगे, ये तेवर है..०३  
प्रदीप जी  गजब के  काविले तारीफ़ तेवर हैं ...सुन्दर ..जय श्री राधे 
भ्रमर ५ 
Comment by Pradeep Kumar Kesarwani on July 1, 2012 at 7:41pm
आदरणीय श्री सौरभ जी, और श्री अरुण जी, हृदय से धन्यवाद् आपको लोगो को, जो आप लोगो ने अपना बहुमूल्य समय निकाल कर मेरा मार्ग दर्शन किया..
अगली प्रस्तुति में, हम आपकी बातों को ध्यान में रखकर कुछ और अच्छा करने की कोशिश करेंगे.. एक बार फिर हृदय से धन्यवाद्....
Comment by Abhinav Arun on July 1, 2012 at 1:42pm

आदरणीय श्री प्रदीप जी ! ह्रदय के भाव उजागर हो रहे हैं ! बधाई !! प्रयास बढ़िया है | समय निकाल कर दूसरों को पढने का प्रयास करें एक लिखने से पहले सौ पढना ही परिपक्वता का मार्ग प्रशस्त करता है || शुभकामनाएं !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 1, 2012 at 1:03pm

प्रदीपजी, क्या प्रस्तुत रचना आपकी पहली रचना है ? या, आप इससे पहले भी कोशिश कर चुके हैं ?

आप जब कुछ भी पोस्ट करते हैं तो क्लिक करने के पहले खुद पढ़ लिया करें. दूसरों के मन में आपके लिये अच्छा इमेज बनेगा, वर्ना पाठक आपको कैजुअल रचनाकार समझ कर गंभीरता से नहीं लेंगे.

बहरहाल, आपको आपकी रचना के अनुमोदित हो जाने और इसकी सफल प्रविष्टि के लिये हृदय से बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Sep 30
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service