कभी चिराग बनकर जला
कभी आग बनकर जला
जली हो चाहे किसी की भी खुशियाँ
लेकिन मैं ही दाग बनकर जला...01
.
सुलग-२ जल रहा जिस्म ये मेरा..
तपते आशियाने ही रहा अब मेरा डेरा..
कभी किसी ने तरस खाकर छोड़ा,
तो कभी किसी के लिए हिसाब बनकर जला....02
.
धोका देकर मुझे…
Posted on September 2, 2012 at 3:30pm — 2 Comments
बात कुछ ऐसी थी, सपनो में हम खो से गए..०१
चांदनी रात थी,
उजला आकाश था..
नदियों में लहरे,
और नीला प्रकाश था..
मछलियों की वो गुनगुनाहट,
और हर-हराती लहरे..
क्या खूब नज़ारा,
मन क्यों न अब उसपर ठहरे..
बात कुछ ऐसी थी, सपनो में हम खो से गए..०२
फिर शांत हुई लहरे,
मेरा चेहरा सामने आया..
जैसे नदियों ने मुझे,
गोद में था बैठाया..
सुकून इतना मिला,
जैसे पा लिया ईश्वर को.
जैसे मिल…
Posted on August 31, 2012 at 11:00am — 5 Comments
हर मोड़ हर किनारे.
Posted on August 19, 2012 at 1:41pm
मासूम सी एक सूरत,
बन गई वो मेरी जरुरत,
होता है कुछ देखकर उसे,
क्या कहू वो है कितनी खूबसूरत....
........
अब सब कुछ फ़साना एक लगता है,
उसका दूर जाना भी, पास आना लगता है,
सोचा न था, एक दौर ऐसा आएगा,
जब ये दिल, किसी को चाहेगा,
फिर भी चुप रहेगी ये जुबाँ, ऐसी कोशिस है,
आँखों से समझे वो प्यार, ये साजिस है,
अब समझाना है उसको इन आँखों की भाषा,
वो होगी मेरे रूबरू,है इस दिल को आशा,
पा लेंगे उसको खुदपर विस्वास है,
मिलेगी वो, क्योकि वो…
Posted on July 5, 2012 at 11:30pm — 3 Comments
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