....तो तुम होती
रातों में तन्हाई नहीं होती
तो तुम होती
दुखों की परछाई नहीं होती
तो तुम होती
ज़िंदगी में बेपर्वाई नहीं होती
तो तुम होती
खुदा ने मेरी किस्मत बनाई नहीं होती
तो तुम होती
ये अयालदारी, ये जीस्तेकुनबाई नहीं होती
तो तुम होती
खामखाह हमने बात बढ़ाई नहीं होती
तो तुम होती
पैदाइशेखल्क के मरकज़ में जुदाई नहीं होती
तो तुम होती
हममें तुममें तश्वीशेआबाई नहीं होती
तो तुम होती
ज़िंदगी ने अपनी मजबूरियाँ सुनाई नहीं होती
तो तुम होती
हमने कुछ बातें ज़िंदगी की छुपाई नहीं होती
तो तुम होती
मुहब्बत के साथ रुसवाई नहीं होती
तो तुम होती
ज़िंदगी सिर्फ एक तमाशाई नहीं होती
तो तुम होती
नाम्बोल और कलकत्ते के बीच खाई नहीं होती
तो तुम होती
मुझे भी ज़िंदगी की मुदाखलत पे हैरत है
सच ही कहते हैं कि सबकी अपनी अपनी किस्मत है
इक तू नहीं है तो ज़िंदगी में कितनी दौलत है!
© राज़ नवादवी
पुणे, १५/०३/२०१२
मानी-
अयालदारी- घर गृहस्थी, बाल-बच्चे; जीस्तेकुनबाई- पारिवारिक जीवन; पैदाइशेखल्क के मरकज़ में जुदाई नहीं होती- सृष्टि की उत्पत्ति के मूल में विरह नहीं होती तो; तश्वीशेआबाई- पुरखों की चिंताएं; रुसवाई- बदनामी; तमाशाई- तमाशा देखने वाला; नाम्बोल- मणिपुर में इम्फाल के पास पहाड़ियों में बसा इक गाँव; मुदाखलत- हस्तक्षेप
Comment
शुक्रिया आपका....यही दौलतेदर्द दर्देपैदाइश बन गई. ख्वाहिश न हुई पूरी, पे एक बूतेख्वाहिश बन गई.
मुझे भी ज़िंदगी की मुदाखलत पे हैरत है
सच ही कहते हैं कि सबकी अपनी अपनी किस्मत है
इक तू नहीं है तो ज़िंदगी में कितनी दौलत है!...दिल से निकले दर्द का सिलसिला किस जगह रुका ...........
बहुत खूबसूरत नज़्म
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online