सावन आया झूम झूम के बाबाजी
बजे नगाड़े धूम धूम के बाबाजी
छोरे ने छोरी के गाल भिगो डाले
चूम चूम के, चूम चूम के बाबाजी
घाट घाट का पानी पीने वालों ने
कपड़े पहने लूम लूम के बाबाजी
आँगन,वेह्ड़ा और वरांडा मत ढूंढो
शहरों में घर रूम रूम के बाबाजी
अलबेला को ओबीओ से इश्क़ हुआ
कहदो सबको घूम घूम के बाबाजी
-अलबेला खत्री
Comment
kamaal hai.........sabhi ko pata chal chuka ?
maine to kisi ko bataya hio nahin.........
___kya ye raaz aapne khol diya Rajesh Kumari ji ?
aapko khushi hui ye jaan kar mujhe aur zyada khushi hui bhai arun ji..............
अलबेला को ओबीओ से इश्क़ हुआ
कहदो सबको घूम घूम के बाबाजी ----सभी को पता चल चुका है
आदरणीय अलबेला जी आपकी हास्य ग़ज़ल पढ़ कर बड़ी ख़ुशी हुई. वाह लाजवाब
aapka hardik dhnyavaad Rajesh Kumari ji........
utsah vardhan ke liye aabhaar !
हाहाहा क्या हास्य ग़ज़ल का फव्वारा छोड़ा बाबा जी
आदरणीय अग्रज श्री सौरभ पाण्डेय जी........
बड़ा अच्छा लगा आपका कथन----
यह सच है कि ओ बी ओ पर मैं जो भी लिखता हूँ, केवल लिखने के लिए ही लिखता हूँ.........परन्तु संयोग से अथवा देवकृपा से उसमे कुछ न कुछ ऐसा अवश्य आ जाता है जो कि पाठकों का प्यार पा लेता है . मुझे अफ़सोस है कि अपनी बेहतरीन रचनाएं मैं यहाँ नहीं दे सकूँगा क्योंकि अब तक जित्ता भी लिखा, सब का सब मेरे ब्लॉग पर पहले ही प्रकाशित हो चुका है . और यहाँ का नियम है कि अप्रकाशित होनी चाहिए रचना !
तो मैंने स्वयं को सक्रिय और सतत प्रवाहमान रखने के हेतु से ही यहाँ बाबाजी का अवतरण किया है..........परन्तु अब बाबाजी ने पैर जमा लिए हैं . उन पर किरपा आनी शुरू हो गयी है.
महामहिम, एक बात तो तय है कि जो चलता रहेगा वो कहीं न कहीं तो पहुंचेगा ही.................यही मैंने अनुभव किया है और यही मतलब आपके कथन का भी है.
__आपके स्नेह और आशीर्वाद का मैं ऋणी हूँ ....विनम्र आभारी हूँ
______जय हो !
अलबेली सतरों से भरी इस ग़ज़ल को अलबेला ही लिख सकते हैं .. .
वैसे एक बात है, सिर्फ़ लिखने के लिये लिखना भी कभी-कभी अच्छे बिम्ब गढ़ लेता है. बधाई.
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