देखो !
उस चिड़िया के पंख निकाल आए
अब वो अपने पंख फैलाएगी
आसमानों के गीत गाएगी
बातें करेगी-
-गगनचुम्बी उड़ानों की !
तोड़ डालेगी-
-तुम्हारी निर्धारित ऊंचाईयां !
और उसकी अंगडाईयां
कंपा देंगी तुम्हारे अंतरिक्ष को !
वो देख आएगी
तुम्हारे सूरज में घुटता अँधेरा !
प्रश्न उठाएगी
तुम्हारे सूर्योदय पर भी !
फिर कौन पूजेगा -
-तम्हारे अस्तित्व को ?
कौन मानेगा -
-तुम्हारी प्रधानता ?
उसे दिखाओ -
-नुचे हुए पंख
सुनाओ उसे -
-बांज की झूठी कहानियां
-पंछी और जहाज की भ्रामक कथाएँ
उसे पिंजरे का महत्त्व समझाओ ,
असमान से जुड़ने मत दो !
रोको ! उसे उड़ने मत दो !
......................................... अरुन श्री !
Comment
उसे दिखाओ -
-नुचे हुए पंख
सुनाओ उसे -
-बांज की झूठी कहानियां
-पंछी और जहाज की भ्रामक कथाएँ
उसे पिंजरे का महत्त्व समझाओ ,
अरुण श्रीवास्तव जी गहन भाव लिए ..सुन्दर कविता ..हाँ उसे ये सब दिखा.. समझा के पिंजरे का महत्व बताना बहुत जरुरी है ...अपनी परिधि ...
अरुण जी
उसे दिखाओ -
-नुचे हुए पंख
सुनाओ उसे -
-बांज की झूठी कहानियां,भावपूर्ण रचना ,हार्दिक बधाई
आदरणीय अरुण भाई जी
बहुत सुन्दर भावों को संजोते हुए बेहतरीन अंदाज में आपने बहुत गंभीर बात कही है
एक दम सटीक क्या बात है बहुत बहुत बधाई आपको
गज़ब है अरुण श्रीवास्तव जी.........
वास्तव में उम्दा रचना की आपने.........
उसे दिखाओ -
-नुचे हुए पंख
सुनाओ उसे -
-बांज की झूठी कहानियां
-पंछी और जहाज की भ्रामक कथाएँ
उसे पिंजरे का महत्त्व समझाओ ,
असमान से जुड़ने मत दो !
रोको ! उसे उड़ने मत दो !
___इन पंक्तियों पर क़ुर्बान !
@@@@ थोड़ा सा टंकण की भूलों को सुधार लें....बेहतर होगा
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