For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल - आदमी जो बेतुका है

वो अगर  मुझसे खफा है

हक है उसको क्या बुरा है

 

घोंसले  के साथ  जुडकर

एक  तिनका  जी  रहा है

 

जो अपरिचित  है नदी से

बाढ़   पर  वो  बोलता  है

 

है   यकीं   चारागरी   पर

हो  जहर  तो  भी  दवा है

 

देख  कर  मुँह  फेर लेना

कुछ  पुराना   आशना  है

 

टूट  ही  जाना  है  उसको

सच  दिखाता  आइना  है

 

जी  रहा   तुकबंदियों  को 

आदमी   जो   बेतुका   है

 

 

..................... अरुन श्री !

Views: 833

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Arun Sri on July 23, 2012 at 12:25pm

राज सर , पसंदगी के लिए शुक्रिया !

Comment by Arun Sri on July 23, 2012 at 12:24pm

अविनास सर , बहुत बहुत धन्यवाद !

Comment by राज़ नवादवी on July 21, 2012 at 8:30pm

घोंसले  के साथ  जुडकर

एक  तिनका  जी  रहा है

 बहुत अच्छे अरुन जी!  छोटी बह्र की छूती गज़ल! 

Comment by AVINASH S BAGDE on July 21, 2012 at 6:55pm

जी  रहा   तुकबंदियों  को 

आदमी   जो   बेतुका   है....wah...

....जो अपरिचित है नदी से बाढ़ पर वो बोलता है....अरुन श्री .बहुत कमाल के शेर हैं .

Comment by Arun Sri on July 21, 2012 at 11:58am

वीनस सर , बस यूँ ही कृपा दृष्टि बनाए रखिए ! :-))) :-)))

Comment by वीनस केसरी on July 21, 2012 at 3:54am

भाई अरुण जी आपकी ग़ज़लों में उत्तरोत्तर कहन और शिल्प आधार पर कसाव बढ़ा है 
मैं एक पाठक की हैसियत से संतुष्ट होता हूँ और मुझे क्या चाहिए
जब कभी कोई कमी देखूँगा तो जरूर कहूँगा

...............

एक बार का वाकया याद आ गया तो सुनाता चलूँ

मैं अपनी एक ताज़ा ग़ज़ल अपने शहर के एक उस्ताद शायर को सूना रहा था और सुनाने के बाद मैंने कुछ इस्लाह की गुजारिश की, मगर उन्होंने कहा कि "ग़ज़ल अच्छी है इस्लाह की जरूरत नहीं है"
मगर मैं जिद करने लगा तो उन्होंने एक वाक्य कहा था ---
"वीनस, भागते घोड़े को बेंत नहीं मारी जाती" ....

:))))))))))))))))))))))))))))))

Comment by प्रवीण कुमार श्रीवास्तव on July 20, 2012 at 11:03pm

बढ़िया ग़ज़ल सचमुच मज़ा आ गया.

Comment by Harash Mahajan on July 20, 2012 at 1:03pm

बहुत सुंदर अरुण श्रीवास्तव जी ....

Comment by Arun Sri on July 20, 2012 at 11:26am

राज कुमार सर , आपका बहुत बहुत धन्यवाद !

Comment by Arun Sri on July 20, 2012 at 11:10am

संदीप भाई, सहयोग बना रहे मित्र ! हमेशा कुछ न कुछ बेहतर होता रहेगा ! :-)) :-))

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
1 hour ago
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service