For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बीवी को मत आँख दिखाओ बाबाजी

झूमो, नाचो, मौज मनाओ बाबाजी
जीवन का आनन्द उठाओ बाबाजी

ये क्या, जब देखो तब रोते रहते हो ?
घड़ी दो घड़ी तो मुस्काओ बाबाजी

मुझ जैसे मसखरे का चेला बन जाओ
दिवस रैन दुनिया को हँसाओ बाबाजी

ये सब नेता रक्तपिपासु कीड़े हैं
इनसे मत कुछ आस लगाओ बाबाजी

जनता के दुःख को जो अपना दुःख समझे
अब ऐसी सरकार बनाओ  बाबाजी

एक मिनट में ऐसी-तैसी कर देगी
बीवी को मत आँख दिखाओ बाबाजी

ओ बी ओ की परिपाटी है 'अलबेला'
आपस में सब प्यार लुटाओ बाबाजी

-अलबेला खत्री 

Views: 1101

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 13, 2012 at 4:08pm

एक बात है घर में कहनी अलबेला,

मुस्काकर तो हमें रुलाओ बाबा जी 

क्या .... घर की याद दिला दी आदरणीय !!!

जय हो जय हो .......

Comment by Albela Khatri on July 13, 2012 at 3:52pm

हँसती ही है वो मेरी मूरखता पर
देखना हो तो घर पे आओ बाबाजी

____क्यों ठीक है न ठीक अम्बरीश जी  ?

Comment by Rekha Joshi on July 13, 2012 at 3:52pm

अलबेला जी ,

पल दो पल का जीवन है बाबा जी ,
हसी ख़ुशी में इसे  गुजारो बाबा जी |,प्यारी सी रचना पर हार्दिक बधाई 
Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 13, 2012 at 3:28pm

ही ही ही ही उन्हें हँसाओ तो जानें

हा हा हो हो की जय बोलो बाबा जी

स्वागत है आदरणीय अलबेला जी .....:-)

Comment by Albela Khatri on July 13, 2012 at 3:14pm


साधु साधु

वाह अम्बरीश जी.......
कमाल कर दिया आदरणीय
एक एक शब्द  को अर्थ में बदल दिया
बहुत  बहुत  धन्यवाद आपको
बहुत आभार आपको
जय हो !

______________अब क्या रह गया कहने को.....इत्ता बहुत है ...हा हा हा हा

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 13, 2012 at 3:03pm

//एक मिनट में ऐसी-तैसी कर देगी
बीवी को मत आँख दिखाओ बाबाजी//

बीबी जब भी आँख उठाये रे बाबा

चरण-कमल में शीश नवाओ बाबाजी

 

//ये सब नेता रक्तपिपासु कीड़े हैं
इनसे मत कुछ आस लगाओ बाबाजी//

रक्त पिपासु नेता को मत पालो तुम

पेस्टीसाइड इन्हें पिलाओ बाबाजी


जनता के दुःख को जो अपना दुःख समझे
अब ऐसी सरकार बनाओ  बाबाजी//

परचम अपना दुनिया में गर लहराना

मोदी सी सरकार बनाओ बाबाजी 

 

आदरणीय अलबेला जी .....

सुंदर सुंदर गजल कही है अलबेला

पढ़-पढ़ इसको मौज मनाओ बाबाजी  

बहुत-बहुत बधाई मित्रवर ...

Comment by Albela Khatri on July 13, 2012 at 11:36am

धन्यवाद  आदरणीय  डॉ सूर्य बाली 'सूरज' जी.......
बहुत बहुत शुक्रिया...

आपकी सराहना ने प्रफुल्लित किया

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on July 13, 2012 at 11:31am

अलबेला जी नमस्कार ! मतला बड़ा खूबसूरत कहा है आपने और बीबी वाला शेर तो मशाल्लाह लाजवाब है !! बहुत बहुत बधाई !!

Comment by Albela Khatri on July 13, 2012 at 11:24am

धन्यवाद  भाई अरुण शर्मा जी......
आभार !

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 13, 2012 at 11:22am

वाह अलबेला जी.
आपकी रचना पढ़ कर मनो बल बढ़ता है. बहुत कुछ सीखने को मिलता है. बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service